विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो इस सदी के अंत तक दक्षिण कोरिया की आबादी दो तिहाई तक घट सकती है. इससे इस देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा. शायद दक्षिण कोरिया पृथ्वी पर लुप्त होने वाला पहला देश नहीं बनेगा. दक्षिण कोरिया की घटती आबादी का सबसे मुख्य वजह फर्टिलिटी रेट का कम होना है.
नई दिल्ली: ये देश जो अपने तेज़ आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण के लिए जाना जाता है, इस समय एक गंभीर संकट से जूझ रहा है. अगर यह संकट इतना गंभीर रहा और ऐसे ही जारी रहा, तो इस सदी के अंत तक इस देश की आबादी घटकर इसकी मौजूदा आबादी की एक तिहाई रह जाएगी. देश की फर्टिलिटी रेट, जो पहले से ही दुनिया में सबसे कम है, अब और भी गिर गई है. इस देश के ‘विलुप्त होने’ के बारे में चर्चाएं शुरू हो गई हैं.आइये आगे जानें कि क्या ये देश सचमुच पृथ्वी से गायब होने जा रहा है.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो इस सदी के अंत तक दक्षिण कोरिया की आबादी दो तिहाई तक घट सकती है. इससे इस देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा. शायद दक्षिण कोरिया पृथ्वी पर लुप्त होने वाला पहला देश नहीं बनेगा. दक्षिण कोरिया की घटती आबादी का सबसे मुख्य वजह फर्टिलिटी रेट का कम होना है. वर्तमान में दक्षिण कोरिया की जनसंख्या लगभग 51 मिलियन है. अनुमान है कि 2067 तक यह संख्या घटकर लगभग 25-30 मिलियन रह जाएगी. दक्षिण कोरिया की बुज़ुर्ग आबादी का हिस्सा दुनिया में सबसे तेज़ गति से बढ़ रहा है. 2019 में यहां बुजुर्गों की आबादी 14.9% थी. 2067 में इसके 46.5% होने का अनुमान है. सांख्यिकी कोरिया द्वारा जारी किए गए डेटा से पता चलता है कि 2022 की तुलना में 2023 में देश में प्रजनन दर में 8% की कमी आई है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2100 तक 51 मिलियन की आबादी आधी हो जाएगी.
इस योजना पर सालाना 22 ट्रिलियन वॉन (करीब 1317 अरब भारतीय रुपये) खर्च होने की उम्मीद है. सरकार इस योजना को लागू करने से पहले राष्ट्रीय सर्वेक्षण करवा रही है. 17 अप्रैल को शुरू हुए इस सर्वेक्षण में चार मुख्य प्रश्न पूछे गए, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या लोग इस पहल पर प्रतिवर्ष 22 ट्रिलियन वॉन खर्च करने का समर्थन करते हैं. यह प्रस्तावित निधि निम्न जन्म दर से निपटने के लिए समर्पित राष्ट्रीय बजट का लगभग आधा हिस्सा होगी, जो लगभग 48 ट्रिलियन वॉन है.
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