November 3, 2024
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खत्म हुआ इंतज़ार, स्विगी के IPO की लिस्टिंग होगी इस दिन

खत्म हुआ इंतज़ार, स्विगी के IPO की लिस्टिंग होगी इस दिन

  • WRITTEN BY: Manisha Shukla
  • LAST UPDATED : November 2, 2024, 10:02 pm IST
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नई दिल्ली: फूड डिलीवरी सेक्टर की टॉप कंपनी स्विगी का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) इसी महीने निवेशकों के लिए खुलने जा रहा है। निवेशक लंबे समय से स्विगी के IPO का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और अब भारतीय बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने अपने IPO की तारीख और प्राइस बैंड की जानकारी साझा कर दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्विगी का आईपीओ 6 नवंबर 2024 को खुलेगा और 8 नवंबर 2024 के दिन बंद होगा। प्राइस बैंड 371 रुपए से 390 रुपए प्रति शेयर के बीच तय किया गया है। हालांकि, स्विगी ने अभी तक इस जानकारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। स्विगी आईपीओ के जरिए 11,300 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है, जिसमें 4,500 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और 6,800 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शामिल है।

आईपीओ के पैसे का इस्तेमाल

स्विगी ने गोपनीय प्री-फाइलिंग रूट का इस्तेमाल करते हुए ड्राफ्ट पेपर दाखिल किए थे और अब आईपीओ दस्तावेजों से यह भी साफ हो गया है कि कंपनी इस रकम का इस्तेमाल कहां करेगी। स्विगी इस आईपीओ से जुटाई गई रकम का बड़ा हिस्सा अपनी सब्सिडियरी स्कूटी का कर्ज चुकाने में इस्तेमाल करेगी। इसके अलावा वह स्कूटी के डार्क स्टोर नेटवर्क का विस्तार करने और कंपनी की टेक्नोलॉजी और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश करेगी।

बिजनेस प्रमोशन

आईपीओ की राशि में से 586.20 करोड़ रुपये प्रौद्योगिकी और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे, जबकि 929.50 करोड़ रुपये ब्रांड मार्केटिंग और बिजनेस प्रमोशन के लिए अलग रखे गए हैं। इस राशि का उपयोग कंपनी को भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने और प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाए रखने में मदद करेगा।

ग्लोबली बड़ी है यह फूड कंपनी

ग्लोबल स्टार्टअप डेटा प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के अनुसार, स्विगी का मौजूदा मूल्यांकन 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। कंपनी का सालाना रेवेन्यू 1.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है, जो दर्शाता है कि फूड डिलीवरी सेक्टर में स्विगी की स्थिति काफी मजबूत है। आईपीओ से जुटाई गई रकम स्विगी को अपनी विकास योजनाओं में मदद करेगी, खासकर डार्क स्टोर्स का विस्तार करने और कर्ज के बोझ को कम करने में।

 

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