नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ी मांग की है. खबरों के मुताबिक अगले 2 साल- 2024 और 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत रहेगी. आईएमएफ ने कहा है कि भारत की विकास दर चीन से भी ज्यादा रहेगी. वैश्विक संस्था के अनुसार भारत आने वाले सालों में सबसे मजबूत विकासशील […]
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ी मांग की है. खबरों के मुताबिक अगले 2 साल- 2024 और 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत रहेगी. आईएमएफ ने कहा है कि भारत की विकास दर चीन से भी ज्यादा रहेगी. वैश्विक संस्था के अनुसार भारत आने वाले सालों में सबसे मजबूत विकासशील देश की शामिल होगा. हालांकि मंगलवार को आईएमएफ ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट जारी की, और इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 2 सालों में भारत का विकास मजबूत रहेगा.
बता दें कि 2024 और 2025 में भारत का विकास दर 6.5 रहने की उम्मीद है. साथ ही एक दिन पहले ही जारी हुई रिपोर्ट भारत को राहत दे सकती है, और वैश्विक स्तर पर बात की जाये, वैश्विक विकास 2025 में 3.1 तो वहीं ये विकास दर अगले साल 2025 में बढ़कर 3.2 फीसदी हो जाने वाला है. दरअसल भारत का प्रमुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन आंकड़ों में भारत से बहुत पीछे है. आईएमएफ के मुताबिक 2024 में चीन का विकास दर 4.6 प्रतिशत तो 2025 में 4.1 प्रतिशत रहने का उम्मीद है.
आईएमएफ के आंकड़ों की मानें तो चीन को 2025 में झटका लगने कि उम्मीद है. बता दें कि विश्व की सबसे मजबूत और बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका का विकास दर भी रिपोर्ट में गिरने का उम्मीद है. अमरिका का विकास दर जो 2023 में 2.5 प्रतिशत रही थी, और अब विकास दर 2024 में 2.1 प्रतिशत तो वहीं 2025 में मात्र 1.7 प्रतिशत ही रह जाने वाली है. खबरों के आंकड़ो में अमेरिका के लिए थोड़ा डराने वाले साबित हो सकते हैं.
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे और ओलिवियर गौरींचास ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि खबरों से साफ होता है कि भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाला देश है, और बादल अब छंटने लगे हैं. दरअसल वैश्विक अर्थव्यवस्था सफल लैंडिंग की ओर है. बता दें कि महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है, तो वहीं विकास और वृद्धि की रफ्तार पकड़ने वाली है. साथ ही विस्तार और विकास की गति फिलहाल धीमे हो गई है. अमेरिका और चीन में भी विकास की अनुमान बहुत कम है, और इसका मुख्य कारण है अमेरिका की कड़ी आर्थिक नीति और चीनी की दुर्गति का प्रमुख्य कारण है.
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