नई दिल्ली: फंडिंग दबाव के कारण बैंक ऋण की वृद्धि दर धीमी हो सकती है. बता दें कि अगले वित्त वर्ष में ये दो फीसदी घटकर 16 से 14 फीसदी पर भी आ सकती है, और एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स को उम्मीद है कि ऋण की मांग मजबूत रहेगी. दरअसल समस्याग्रस्त ऋणों की स्थिति में सुधार […]
नई दिल्ली: फंडिंग दबाव के कारण बैंक ऋण की वृद्धि दर धीमी हो सकती है. बता दें कि अगले वित्त वर्ष में ये दो फीसदी घटकर 16 से 14 फीसदी पर भी आ सकती है, और एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स को उम्मीद है कि ऋण की मांग मजबूत रहेगी. दरअसल समस्याग्रस्त ऋणों की स्थिति में सुधार हो रहा है. ऋण वृद्धि दर में गिरावट आएगी क्योंकि जमा वृद्धि दर में गिरावट जारी रहेगी.
बता दें कि रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि यदि कर्ज और जमा वृद्धि दर स्थिर रहती है, तो जमा प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू होने वाला है. इससे बैंक मार्जिन में और कमी भी आएगी, और निजी क्षेत्र के बैंकों को इस स्थिति का ज्यादा भुगतान भी करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वो सरकारी बैंकों की तुलना में बहुत ज्यादा कर्ज-जमा अनुपात पर काम करने वाले हैं. हालांकि सरकारी बैंकों की जमा की स्थिति ज्यादा ही बेहतर है, और एसएंडपी का कहना है कि बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन भी इस वित्त वर्ष के 3 फीसदी से घटकर अगले वित्त वर्ष में 2.9 फीसदी पर भी आ सकता है.
दरअसल एसएंडपी का कहना कि एचडीएफसी बैंक को अतिरिक्त दबाव का सामना भी करना पड़ सकता है. साथ ही एचडीएफसी लि. का पिछले वर्ष बैंक में विलय हो गया था, और इससे फंडिंग प्रोफाइल भी कमजोर हो गई. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बैंक को विलय के स्तर की फंडिंग तक आने में काफी समय लगने की उम्मीद है.
Car Care Tips: रात में कार से सफर के दौरान होता है खतरा, इन तरीकों से मिलेगी सुरक्षा