नई दिल्ली. The Global Eye Conclave: बीते रविवार यानी 2 फरवरी 2020 को इंडिया हैबिटैट सेंटर में भारत के शीर्ष नौकरशाह, कारोबारी और अल्पसंख्यक कार्यकर्ता समेत कई गणमान्य ‘द ग्लोबल आई कॉनक्लेव’ कार्यक्रम में एकजुट हुए. इस कार्यक्रम में चर्चा हुई कि सबका विकास से जुड़े प्रधानमंत्री के विजन कैसे गति दी जा सके और इसके लिए किस तरह की कोशिशें हो रही हैं. इस मौके पर कॉनक्लेव आयोजन समिति के चेयरमैन और पूर्व डीजीपी डॉ. परवेज हयात ने कहा कि पीएम मोदी ने देश के विकास के लिए बड़ी संख्या में अभिनव सामाजिक और आर्थिक योजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने गंगा संरक्षण और कायाकल्प योजना, पीएम किसान, पीएम सिंचाई, आयुष्मान भारत, पीएम स्वास्थ्य, सुरक्षा योजना, उड़ान योजना, महिलाओं के लिए मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों की शुरुआत, नेशनल मेडिकल काउंसिल, पीएम श्रम योगी मानधन और सर्व शिक्षा अभियान जैसे दूरदर्शी कार्यक्रमों का जिक्र किया.
डॉ. परवेज हयात ने बताया कि बजट 2020 से कृषि, आधारभूत ढांचा, प्रौद्योगिकी और सस्ते मकान जैसे क्षेत्रों को बल मिलने की उम्मीद है. इसमें जीरो टैक्स, 5 साल के लिए नया स्टार्टअप और निम्न मध्य वर्गीय आबादी के लिए टैक्स की दरों में राहत की संभावनाएं दिखती हैं. डॉ. परवेज हयात ने कहा कि आईएमएफ के अनुसार, मौजूदा वैश्विक घटनाक्रम ने वैश्विक जीडीपी को 0.9 प्रतिशत तक प्रभावित किया है, जिसका असर भारत पर भी दिख रहा है.
इस मौके पर मंथली डिजिटल न्यूज द ग्लोबल आई के चेयरमैन डॉ. विजय प्रभाकर ने यह रेखांकित किया कि पीएम मोदी के विजन को लेकर लोगों को शिक्षित और जागरुक करने की जरूरत है, जो 2030 तक भारत को सुपर पावर बनाने की दिशा में अपना बहुमुल्य योगदान देंगे. डॉ प्रभाकर ने कहा है कि आज के समय में भारत के पास दुनिया का तीसरा बड़ा सैन्य बल, पांचवां सबसे बड़ा रक्षा बजट और सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. उन्होंने कहा कि कॉन्क्लेव का मकसद प्रधानमंत्री मोदी के विजन को विभिन्न समुदायों के रहनुमाओं और नौजवानों तक पहुंचाना है, जिन तक कोई पर्याप्त साधन नहीं है और सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया के जरिये उचित व निरंतर संदेश को सुनिश्चित करना है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव जी.वी. वी. शर्मा, आईएएस ने अपना मुख्य भाषण देते वक्त आपदा प्रबंधन को घटाने वाले उन दस कारकों को चिन्हित किया, जो सरकार की कोशिशों के बाद संभव हो पाया है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारें कैसे मिलकर भारत में कोरोना वायरस की चुनौतियों से लड़ रहे हैं. इस मौके पर नीति आयोग में सलाहकार डॉ. अजित पई ने डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने कर-निर्धारण और रणनीतिक मुद्रीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किए. वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के संयुक्त निदेशक डॉ. जे.पी. शर्मा, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन, चेन्नई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन. परशुराम और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रेम पराशर ने किसानों और कृषि-अर्थव्यवस्था पर मोदी के विजन के बारे में बताया.
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