नई दिल्ली. Tata AGM Dispute: करीब छह साल पहले मिस्त्री विवाद में टाटा ग्रुप की साख को चोट पहुंचाई थी, लेकिन अब भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए टाटा ग्रुप ने एक पक्का इंतज़ाम कर लिया है. ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) की मंगलवार को एजीएम हुई, जिसमें कंपनी के […]
नई दिल्ली. Tata AGM Dispute: करीब छह साल पहले मिस्त्री विवाद में टाटा ग्रुप की साख को चोट पहुंचाई थी, लेकिन अब भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए टाटा ग्रुप ने एक पक्का इंतज़ाम कर लिया है. ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) की मंगलवार को एजीएम हुई, जिसमें कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की धारा 118 में बदलाव किया गया. इसके मुताबिक अब कोई एक व्यक्ति टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन नहीं बन सकता है, हालांकि टाटा संस के सबसे बड़े माइनोरिटी स्टेकहोल्डर्स एसपी ग्रुप (SP Group) ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था, दरअसल, साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के एसपी ग्रुप की टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है.
हालांकि साल 2013 से ही टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन अलग-अलग व्यक्ति हैं और रतन टाटा एक साथ यह दोनों ज़िम्मेदारी संभालने वाले आखिरी शख्स थे, लेकिन अब कंपनी के नियमों में किए गए बदलाव से इसे कानूनी रूप मिल गया है. इस बदलाव से जुड़े प्रस्ताव को पारित करने के लिए 75 फीसदी शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की जरूरत थी और टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स, टाटा ग्रुप की कंपनियों और उनसे जुड़ी कंपनियों की 75 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी है और यही वजह है कि ये प्रस्ताव मैज्योरिटी वोट्स से पारित हो गया है.
इसका मतलब यह है कि रतन टाटा के बाद जो भी व्यक्ति टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनेगा, वो टाटा संस का चेयरमैन नहीं बन सकता है, ये दोनों पद अलग-अलग व्यक्तियों को संभालने होंगे. टाटा ग्रुप का कारोबार 103 अरब डॉलर का है और इसकी होल्डिंग कंपनी टाटा संस है, ऐसे में दोनों के चेयरमैन अलग-अलग होंगे.
टाटा संस के चेयरमैन की नियुक्ति और उसके हटाने के लिए एक सेलेक्शन कमेटी का गठन किया जाएगा और इस कमेटी के चेयरमैन की नियुक्ति सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट करेंगे, बता दें यह नियुक्ति ट्रस्ट्स द्वारा तय नॉमिनीज में से की जाएगी और सेलेक्शन कमेटी के लिए दोनों ट्रस्ट मिलकर तीन लोगों को नॉमिनेट करेंगे जबकि टाटा संस का बोर्ड एक ही व्यक्ति को नॉमिनेट करेगा. साथ ही इसमें एक स्वतंत्र डायरेक्टर भी होगा. वहीं, एजीएम में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि सर दोराबजी ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट का चेयमैन टाटा संस का चेयरमैन नहीं बन सकता है, टाटा संस के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए सभी डायरेक्टर की सहमति मिलना ज़रूरी है.