November 14, 2024
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शेयर बाजार में देखी गई भारी गिरावट, निवेशकों को 8.28 लाख करोड़ का नुकसान

शेयर बाजार में देखी गई भारी गिरावट, निवेशकों को 8.28 लाख करोड़ का नुकसान

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नई दिल्ली: बुधवार 13 नवंबर को घरेलू शेयर बाजार में लगातार पांचवें दिन भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। निफ्टी चार महीने के निचले स्तर 23,559 पर 324 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं सेंसेक्स में 984 अंकों की गिरावट आई और यह 77,690 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक भी 1069 अंक गिरकर 50,088 पर आ गया। इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में लगभग 8.28 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।

गिरावट का तीसरा दौर

इस बीच मार्केट एक्सपर्ट ने बताया कि यह गिरावट बाजार में बिकवाली के तीसरे दौर का परिणाम है। पहले दौर में विदेशी निवेशकों (FIIs) की बिकवाली ने गिरावट को बढ़ावा दिया। वहीं जबकि दूसरे दौर में कमजोर तिमाही नतीजों का असर देखा गया। अब रिटेल निवेशकों और हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के पैनिक सेलिंग के कारण गिरावट का तीसरा दौर चल रहा है। हालांकि, घरेलू फंड्स की ओर से लगातार खरीदी ने गिरावट को कुछ हद तक रोका भी है.

एक्सपर्ट के अनुसार, अब बाजार का अगला ट्रिगर अमेरिका की ओर से आ सकता है। अगर अमेरिकी बाजारों में गिरावट बढ़ती है, तो इसका प्रभाव घरेलू और अन्य वैश्विक बाजारों पर भी पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि मेटल, ऑटो और PSU शेयरों में बड़ी गिरावट के कारण भी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा है, जिससे इन सेक्टर्स में 2% से अधिक की गिरावट आई।

 stock market down

बाजार की गिरावट के कुछ और प्रमुख कारणों में शामिल हैं

1. तकनीकी गिरावट: निफ्टी अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे गिर चुका है, जिससे बाजार में बेयरिश ट्रेंड देखा जा रहा है। निफ्टी का मौजूदा स्तर जून-जुलाई के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

2. अमेरिकी महंगाई डेटा का इंतजार: बुधवार को अमेरिका में सीपीआई (मुद्रास्फीति) के आंकड़े जारी होने हैं, जो यूएस फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों के फैसले को प्रभावित करेंगे। महंगाई के बढ़ने पर ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम होगी, जिससे डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड बढ़ सकते हैं। इस स्थिति में विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से पैसा निकाल सकते हैं।

3. ट्रंप प्रशासन का गठन: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से चीन और उभरते बाजारों पर असर पड़ सकता है। ट्रंप प्रशासन का चीन विरोधी रुख इन बाजारों की स्थिति को और कमजोर कर सकता है, जिससे निवेशकों का मनोबल भी प्रभावित होगा।

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