नई दिल्ली. दिन पर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है. इस बढ़ती महंगाई के साथ रुपया भी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गिरता जा रहा है. ऐसे में अब बाज़ार में एक डॉलर की कीमत 81.67 पहुँच गई है, जो अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है. इस कमज़ोर हो रहे रुपये का असर आपके रसोई से […]
नई दिल्ली. दिन पर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है. इस बढ़ती महंगाई के साथ रुपया भी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गिरता जा रहा है. ऐसे में अब बाज़ार में एक डॉलर की कीमत 81.67 पहुँच गई है, जो अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है. इस कमज़ोर हो रहे रुपये का असर आपके रसोई से लेकर आपकी जेब तक पड़ेगा.
भारत जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी समेत कई दवाओं का बहुत ही भारी मात्रा में आयात करता है, वहीं भारत आज भी कई मोबाइल और गैजेट का आयात करता चीन से करता है. अब अगर रुपये में इसी तरह गिरावट आती रही तो आयात और महंगा हो जाएगा और मोबाइल फोन और दवाइयां लेना भी बहुत महंगा पड़ेगा.
भारत आज के समय में 80 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात करता है, अब रुपये की कीमत घटने से कच्चे तेल का आयात महंगा हो जाएगा और इसका असर पेट्रोल-डीज़ल से लेकर रसोई तक देखने को मिलेगा. ऐसे में, घर में रोज़मर्रा के इस्तेमाल वाली चीज़ें महंगी हो जाएंगी, साथ ही पेट्रोल डीज़ल के दाम भी बढ़ जाएंगे.
खाद्य तेल भी हो सकता है महंगा
भारत खाद्य तेल का 60 फीसदी आयात करता है और इसकी खरीद डॉलर में ही होती है, ऐसे में खाद्य तेलों के दाम घरेलु बाज़ार में बढ़ने की पूरी आशंकाएं हैं.
भारतीय कंपनियां विदेश से सस्ते दरों पर भारी मात्रा में कर्ज जुटाती है, अब अगर रुपया कमजोर होता है तो भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से कर्ज जुटाना महंगा हो जाएगी, इससे उनकी लागत बढ़ जाएगी जिससे वह कारोबार के विस्तार की योजनाओं को टाल देती हैं, इससे देश में रोजगार के अवसर भी घट जाएंगे.
रुपये के गिरने से विदेश में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को आवास, कॉलेज फीस, भोजन और परिवहन महंगा हो जाएगा, ऐसे में उन्हें विदेश में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.
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