नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच को अब अपने खिलाफ लगे आरोपों के बारे में सबकुछ ‘साफ-साफ’ बताना होगा। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में उन पर अडानी समूह में अनियमितताओं की जांच में कथित पक्षपात के कई आरोप लगाए गए हैं।
हालांकि सरकार और सेबी ने इन आरोपों को खारिज किया है। फिर भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार उन पर हमला बोल रही है। वहीं, अब लोकपाल ने माधबी पुरी बुच से उनके खिलाफ लगे आरोपों को लेकर ‘स्पष्टीकरण’ मांगा है।
लोकपाल ने एक आधिकारिक आदेश जारी कर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधबी पुरी बुच से उनके खिलाफ शिकायतों पर स्पष्टीकरण मांगा है। माधबी पुरी बुच को इस काम के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
लोकपाल के आदेश में कहा गया है कि माधबी पुरी बुच तीनों शिकायतों में शिकायत के अनुसार अपना जवाब या स्पष्टीकरण प्रस्तुत कर सकती हैं, ताकि दोहराव से बचा जा सके। इस आदेश पर लोकपाल संस्था के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं।
इसके सदस्यों में न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी, संजय यादव, रितु राज अवस्थी, सुशील चंद्रा और अजय तिर्की शामिल हैं। अब इस मामले में लोकपाल के समक्ष अगली सुनवाई की तारीख 19 दिसंबर तय की गई है।
इससे पहले लोकपाल ने 20 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि सेबी प्रमुख पर अनुचित आचरण और हितों के टकराव का आरोप लगाने वाली लोकसभा सदस्य की शिकायत उसे किसी भी जांच का आदेश देने के लिए राजी करने में विफल रही है। लोकपाल ने यह बात माधबी पुरी बुच के मामले में दो शिकायतों की सुनवाई के दौरान कही। इनमें से एक शिकायत लोकसभा सांसद ने की थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कुछ महीने पहले जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उस विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी, जिसे लेकर अडानी ग्रुप पर कथित वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है।
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