SBI Tax Savings Scheme: भारतीय स्टेट बैंक, एसबीआई की सेविंग्स स्कीम लेने वाले ग्राहकों को टैक्स में बढ़ा फायदा होगा. एसबीआई टैक्स सेविंग स्कीम, 2006 के लिए न्यूनतम कार्यकाल पांच साल है जो अधिकतम 10 साल तक बढ़ सकता है. जानें इसकी पूरी ब्याज दर और इसको लेने वाले ग्राहकों को टैक्स में क्या लाभ होगा?
नई दिल्ली. भारतीय स्टेट बैंक, एसबीआई देश का सबसे बड़ा ऋणदाता, अपने व्यक्तिगत बैंकिंग पोर्टफोलियो के तहत कई बचत योजनाओं की पेशकश करता है. एसबीआई द्वारा प्रस्तुत की जा रही एक ऐसी योजना है, टैक्स सेविंग स्कीम, 2006, जो एक प्रकार की सावधि जमा या सावधि जमा है. एसबीआई की आधिकारिक वेबसाइट sbi.co.in के अनुसार, भारतीय अविभाजित परिवार के कर्ता के रूप में निवासी या हिंदू अविभाजित परिवार के कर्ता की क्षमता वाले पात्र हैं. इस योजना में निवेश करने के लिए एक व्यक्ति के पास आयकर स्थायी खाता संख्या (पैन) भी होना चाहिए.
जानें एसबीआई टैक्स बचत योजना के बारे में महत्वपूर्ण बातें-
रकम: एक व्यक्ति को न्यूनतम 1,000 या उसके गुणकों में रकम जमा करने की आवश्यकता होती है. जबकि अधिकतम जमा रुपये 1,50,000 से अधिक नहीं होने चाहिए. ये पूरे एक साल के लिए होगा.
कार्यकाल: एसबीआई बचत योजना, 2006 के लिए न्यूनतम कार्यकाल पांच वर्ष है जो अधिकतम 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
ब्याज की दर: योजना के लिए ब्याज की दर, सावधि जमा पर समान है. एसबीआई ने 26 अगस्त से सावधि जमा पर अपनी ब्याज दरों में संशोधन किया. खुदरा जमा के लिए 2 करोड़ रुपये से कम पर ब्याज दरें आम जनता के लिए 6.25 प्रतिशत और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 5 वर्ष से 10 वर्ष की अवधि के लिए 6.75 प्रतिशत है.
एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार, निवेशक अपनी जमा की तारीख से पांच साल की समाप्ति से पहले सावधि जमा को वापस नहीं ले सकते हैं.
अन्य सुविधाएं: एसबीआई की योजना आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक कर लाभ प्रदान करती है. एसबीआई की योजना के साथ एक नामांकन सुविधा भी उपलब्ध है. हालांकि, ग्राहक सावधि जमा खाते का उपयोग ऋण को सुरक्षित करने या किसी अन्य संपत्ति के लिए सुरक्षा के रूप में नहीं कर सकते हैं.
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