नई दिल्लीः अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया रोजाना गिरता ही जा रहा है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया ऐतिहासिक स्तर पर गिर गया है और सिर्फ 84.30 रुपये प्रति डॉलर रह गया है। भारतीय बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा लगातार बिकवाली और फंड आउटफ्लो के बाद एक और वजह है जिसकी वजह से भारतीय रुपये के रसातल में जाने का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।
दरअसल, अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद आने वाले महीनों में अमेरिकी करेंसी डॉलर में और तेजी आने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो भारतीय रुपये के और नीचे जाने का डर बना रहेगा और यह निचले स्तर पर जा सकता है। बुधवार को रुपया अपने अब तक के निचले स्तर पर बंद हुआ बुधवार को रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले यह 84.28 रुपये पर्ति डॉलर हो गया है।
रुपये के कमजोर होने से भारत के लिए नई मुसीबतें खड़ी होने का डर है। डॉलर के मजबूत होने का मतलब है कि भारत का आयात बिल भी बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, अक्टूबर में जिस सामान को खरीदने के लिए 1 डॉलर पर 83 रुपये में देने पड़ते थे, अब वह 84.30 रुपये में मिलेगा। भारत विदेशों से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है और इसे खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, क्योंकि डॉलर महंगा हो गया है।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमत से भारत को इसके आयात पर अधिक खर्च करना पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप देश में कई वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का असर पेट्रोल और डीजल की दरों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल परिवहन ईंधन के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
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