देश की सबसे बड़ी ज्वेलरी चेन चलाने वाली कंपनी जोयालुक्कास ग्रुप के चेयरमैन जॉय अलुक्कास आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी ज्वेलरी चेन चलाने वाली कंपनी जोयालुक्कास ग्रुप के चेयरमैन जॉय अलुक्कास आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वह भारत के 50 सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। लेकिन उनकी सफलता की राह आसान नहीं थी। हाल ही में एक टीवी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने एक ऐसी घटना का जिक्र किया, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी।
साल 2000 में रॉल्स रॉयस को अमीरी की पहचान माना जाता था और यह कार सिर्फ बड़े बिजनेसमैन के पास ही होती थी। जॉय अलुक्कास ने भी दुबई के एक शोरूम में इस कार को खरीदने का फैसला किया। शोरूम में पहुंचने पर एक सेल्समैन ने उनसे पूछा कि वह क्या देखना चाहते हैं। अलुक्कास ने जब रॉल्स रॉयस देखने की बात कही, तो सेल्समैन ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा, “आप मित्सुबिशी शोरूम जाएं, वहां कार मिल जाएगी।”
इस अपमान ने जॉय अलुक्कास को झकझोर दिया। उन्होंने तभी ठान लिया कि वह रॉल्स रॉयस खरीदेंगे। कार खरीदने के बाद, उन्होंने इसे अपनी जरूरत से ज्यादा लग्जरी मानते हुए यूएई में अपनी ज्वेलरी के वार्षिक रैफल ड्रा के विजेता को गिफ्ट कर दिया।
67 साल के जॉय अलुक्कास की कुल नेट वर्थ करीब 4.4 अरब डॉलर है। उनके पास कई लग्जरी कारों का कलेक्शन भी है। मार्च 2024 में उन्होंने 6 करोड़ रुपये की रॉल्स रॉयस कलिनन भी खरीदी। जॉय अलुक्कास की यह कहानी बताती है कि अपमान से भी प्रेरणा ली जा सकती है और उसे अपनी ताकत में बदला जा सकता है।
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