नई दिल्ली: जुलाई 2024 के लिए घोषित खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) में खाद्य वस्तुओं की महंगाई कम होने के चलते राहत मिली है। महंगाई दर 4% के RBI के टोलरेंस बैंड से भी नीचे आकर 3.5% पर पहुंच गई है। अगर आने वाले महीनों में महंगाई दर में ये कमी जारी रहती है, तो होम लोन, कार लोन, और एजुकेशन लोन जैसी ईएमआई पर बड़ा फायदा मिल सकता है। यानी जिन लोगों की ईएमआई चल रही है, उन्हें सस्ती ईएमआई का लाभ मिल सकता है।
केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा के अनुसार, पिछले साल के आधार प्रभाव के चलते खुदरा महंगाई दर 3.5% पर आ गई है, लेकिन कोर इंफ्लेशन (Core Inflation) में कुछ बढ़ोतरी देखी गई है। कोर इंफ्लेशन जुलाई 2024 में 3.4% पर पहुंच गई, जिसमें टेलीकॉम टैरिफ और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी का योगदान रहा। रजनी सिन्हा का मानना है कि अगर खाद्य वस्तुओं की महंगाई में और कमी आती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
मई 2022 से पहले RBI की रेपो रेट 4% थी, लेकिन अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर के 7.8% तक पहुंचने के बाद RBI ने लगातार रेपो रेट बढ़ाई। रेपो रेट अब 6.50% हो गई है, जिससे बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने होम लोन समेत अन्य लोन की ब्याज दरें बढ़ा दीं। इसका सीधा असर उन होमबायर्स पर पड़ा, जिनका होम लोन पहले से चल रहा था। इसके साथ ही, कार लोन, एजुकेशन लोन, और अन्य पर्सनल लोन भी महंगे हो गए।
एक साल के भीतर होमबायर्स पर ईएमआई का भारी बोझ बढ़ गया। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने 2021 में 40 लाख रुपये का होम लोन 20 सालों के लिए 7% ब्याज दर पर लिया था, तो उस समय उसकी मासिक ईएमआई 31,012 रुपये थी। लेकिन रेपो रेट बढ़ने के बाद, ये ईएमआई बढ़कर 37,285 रुपये हो गई। यानी हर महीने 6,273 रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया, जो सालाना 75,276 रुपये तक पहुंच गया। अगर महंगाई दर में गिरावट का ये सिलसिला जारी रहता है, तो होमबायर्स को महंगी ईएमआई से राहत मिलने की उम्मीद है।
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