September 19, 2024
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आर्थिक कंगाली की कगार पर दुनिया, संकट के पीछे ये कारण जिम्मेदार

नई दिल्ली, दुनिया भर में एक बार फिर से आर्थिक मंदी का खतरा मंडराने लगा है. इस खतरे से अर्थशास्त्रियों की नींदें तो उड़ी ही हैं, साथ ही दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति एलन मस्क को भी कंगाली का डर सता रहा है. मस्क समेत कई लोगों का मानना है दुनिया खासकर अमेरिका जैसे विकसित देश इस समय मंदी की कगार पर खड़े हैं. कई ऐसे फैक्टर हैं, जिनसे लग रहा है कि एक बार फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था का आर्थिक मंदी की चपेट में आना लगभग तय है.

कोरोना महामारी:

पूरी दुनिया 2019 से कोरोना महामारी की मार झेल रही है, इस महामारी ने दुनिया भर में स्वास्थ्य संकट से ज्यादा आर्थिक संकट ला दिया है. अब फिर से चीन महामारी की नई लहर से जूझ रहा है. शंघाई जैसे इंडस्ट्रियल हब इस समय सख्त लॉकडाउन में हैं. इसके कारण कई कंपनियों के प्लांट फिर एक बार बंद हो गए हैं.

रूस-यूक्रेन जंग:

रूस और यूक्रेन फरवरी के अंतिम सप्ताह से जंग में उलझे हुए हैं. लंबी तनातनी और सैन्य तनाव के बाद रूस ने फरवरी के अंतिम दिनों में यूक्रेन पर हमला कर दिया. पहले माना जा रहा था कि रूस कर यूक्रेन की ये जंग ज्यादा लंबी नहीं चलेगी और रूस को कुछ ही सप्ताह में जीत मिल जाएगी. हालांकि सारे अनुमान गलत साबित हुए और महीनों बीत जाने के बाद भी दोनों देशों का युद्ध जारी है. इस युद्ध के कारण दुनिया भर में कई आवश्यक चीज़ों की कमी का संकट खड़ा हो गया. रूस और यूक्रेन दोनों ही देश गेहूं और जौ जैसे कई अनाजों के बड़े निर्यातकों में से है. युद्ध के चलते निर्यात भी प्रभावित हुआ है, कई देश तो ऐसे हैं को इस समय फूड क्राइसिस से जूझ रहे हैं.

दशकों की सबसे ज्यादा महंगाई:

बहुत सालों से महंगाई खबरें सुर्ख़ियों में नहीं थी, लेकिन अब फिर से पुराना दौर लौट रहा है. भारत की ही बात करें तो बीते महीने थोक महंगाई और खुदरा महंगाई दोनों ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए उच्चतम लेवल पर रही. अप्रैल में सालों बाद थोक महंगाई 15 फीसदी के पार निकली और नवंबर 1998 के बाद सबसे ज्यादा रही. वहीं, खुदरा महंगाई की बात करें तो खुदरा महंगाई पहले ही मई 2014 के बाद के सबसे उच्च स्तर पर है.

महंगा होता कर्ज:

महंगाई को नियंत्रण में करने के लिए दुनिया भर के सेंट्रल बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. भारत की बात करें तो रिजर्व बैंक ने इसी महीने आपातकालीन बैठक की और रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ा दिया. भारत में ब्याज दरें दो साल से स्थिर थीं और 4 साल में पहली बार इसे बढ़ाया गया है, जानकारों की मानें तो इस कदम से महंगाई में थोड़ी राहत मिलेगी.

क्रूड ऑयल में उबाल:

पिछले कुछ महीने से कच्चे देल के दामों में आग लगी हुई है, यह लगातार 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बना हुआ है. ब्रेंट क्रूड 01 फीसदी उछलकर 113.08 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गया है. दरअसल क्रूड ऑयल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक रूस के ऊपर अमेरिका व अन्य यूरोपीय देशों ने कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, इसी में रूसी तेल व गैस पर प्रतिबंध भी शामिल है.’

 

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