केंद्रीय बैंक ने UPI के जरिए किए जाने वाले टैक्स भुगतान की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा है। आखिर इसका फायदा किसे और कैसे होगा?
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को अगस्त 2024 के लिए मौद्रिक नीति (monetary policy) जारी कर दी। इसमें लगातार 9वीं बार रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया। इस बीच RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने UPI पेमेंट को लेकर बड़े फैसले का ऐलान किया। केंद्रीय बैंक ने UPI के जरिए किए जाने वाले टैक्स भुगतान की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा है। आखिर इसका फायदा किसे और कैसे होगा?
अगर आपको जरा भी भ्रम है कि RBI ने UPI के जरिए रोजाना भुगतान की सीमा बढ़ा दी है तो आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ है। सिर्फ UPI के जरिए किए जाने वाले टैक्स भुगतान की सीमा को बढ़ाया गया है। UPI टैक्स भुगतान सीमा बढ़ाने का फायदा जिन करदाताओं पर टैक्स की देनदारी ज्यादा है। वे टैक्स भुगतान का लेन-देन जल्दी पूरा कर सकें। इसके लिए UPI के जरिए टैक्स भुगतान की सीमा बढ़ा दी गई है।
अगर किसी करदाता की देनदारी 1.5 लाख रुपये होती थी, तो वह UPI के जरिए टैक्स भुगतान का पूरा फायदा नहीं उठा सकते थे। बल्कि, उन्हें NEFT या RTGS जैसे अन्य नेट बैंकिंग के ऑप्शन का उपयोग करना पड़ता था। RBI द्वारा यह सीमा बढ़ाने से लोगों के लिए समय पर अपनी टैक्स भरने में आसानी होगी। इतना ही नहीं, सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा। इसका एक और लाभ यह होगा कि लोगों की लेनदेन लागत (ट्रांजेक्शन कोस्ट) कम हो जाएगी।
RBI द्वारा UPI के जरिए कर भुगतान की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने का एक और लाभ करदाताओं को मिलेगा। अगर करदाता वर्तमान में NEFT या RTGS जैसे नेट बैंकिंग टूल का उपयोग करके टैक्स का भुगतान करते हैं या क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए भुगतान करते हैं। तो उन्हें लेनदेन शुल्क (ट्रांजेक्शन कोस्ट) देना पड़ता है। इसके विपरीत, UPI के माध्यम से भुगतान के समय लेनदेन शुल्क नहीं लगाया जाता है। इसलिए, वे 5 लाख रुपये तक का कर चुकाते समय भी कुछ पैसे बचाएंगे।
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