RBI Repo Rate Cut: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को नई मौद्रिक नीति की घोषणा की. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नई क्रेडिट पॉलिसी के तहत रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25 फीसदी की कमी की है. आरबीआई की रेपो दर (Repo Rate) 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत कर हो गई है. रेपो रेट घटने से बैंक से मिलने वाले होम लोन, कार लोन जैसे कर्ज सस्ते होंगे.
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट घटाई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी कि 0.25 फीसदी की कटौती की है. कटौती के बाद रेपो रेट की 6.25 प्रतिशत से घट कर 6 प्रतिशत हो गई है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को नई मौद्रिक नीति जारी की, जिसके आधार पर रेपो रेट में कटौती की है. बताया जा रहा है कि रेपो रेट घटने से बैंक अपने कर्ज की ब्याज दर में कटौती करेंगे, जिससे सभी प्रकार के लोन सस्ते होंगे.
क्या है रेपो रेट-
रेपो रेट (Repo rate)वह दर है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को कर्ज देता है, यानी कि यदि कोई बैंक आरबीआई से लोन लेता है तो उसे वर्तमान रेपो रेट के हिसाब से 6 प्रतिशत की दर पर ऋण मिलेगा. इस कर्ज से बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देते हैं. रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से मिलने वाले लोन सस्ते होंगे और इसी तरह बैंक भी अपने ग्राहकों को देने वाले लोन को सस्ता करेगा. मतलब यह कि बैंक अपने ग्राहकों को होम लोन, कार लोन आदि सस्ती दर पर मुहैया कराएंगे.
हालांकि वित्त विश्लेषकों का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि सभी बैंक रेपो रेट में कटौती के आधार पर अपने लोन की दरों में कमी करें. बैंक सीमित आधार पर कर्ज की दरों में कटौती कर सकते हैं या नहीं भी कर सकते हैं. लेकिन यह माना जाता है कि रेपो रेट घटने पर बैंक अपने ग्राहकों को देने वाले कर्ज सस्ते करते हैं.
नई मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि सिस्टम में अतिरिक्त लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए आरबीआई कुछ नए कदम उठाने जा रहा है. निवेश में कमी आने से उत्पादन ग्रोथ कम हुई है. दूसरी ओर उत्पादन क्षेत्र में कंपनियों को इनपुट दर घटाने के लिए दबाव बढ़ रहा है. आरबीआई गर्वनर ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर संतुलित होने से भारत का आयात घट सकता है.
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