नई दिल्ली: रक्षाबंधन का त्योहार, जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है, इस बार 19 अगस्त, सोमवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। देशभर में इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। खास बात यह है कि इस साल बाजारों में चीनी राखियां नजर नहीं आ रही हैं। व्यापारी संगठन “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देते हुए केवल देश में बनी राखियों को ही बेचने पर जोर दे रहे हैं। लोगों के उत्साह को देखते हुए अनुमान है कि इस रक्षाबंधन पर 12,000 करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है।
देशभर के व्यापारी संगठनों के शीर्ष निकाय कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, इस साल राखी के त्योहार पर बाजारों में जबरदस्त भीड़ है। CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि स्वदेशी राखियों की मांग पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ी है। इस साल भी चीनी राखियों की कोई मांग नहीं है। खंडेलवाल ने बताया कि इस बार 12,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 10,000 करोड़ रुपये था।
CAIT के मुताबिक, रक्षाबंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह तक का समय त्योहारी सीजन माना जाता है। इस दौरान बाजारों में करीब 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने की संभावना है। त्योहारों के चलते बाजारों में रौनक बढ़ती जा रही है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है।
CAIT की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष और उज्जैन के वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे के अनुसार, 19 अगस्त को दोपहर 1:30 बजे तक भद्रा काल रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। इसलिए राखी बांधने का सही समय 1:31 बजे के बाद का है। CAIT ने यह जानकारी सभी व्यापारी संगठनों को एडवाइजरी के रूप में भेजी है और सुझाव दिया है कि शुभ मुहूर्त में ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाए।
CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि इस साल देश के विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध उत्पादों से बनी खास राखियां बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें नागपुर की खादी राखी, जयपुर की सांगानेरी कला राखी, पुणे की बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना की ऊनी राखी, असम की चाय पत्ती राखी, कोलकाता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, केरल की खजूर राखी, कानपुर की मोती राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, और पांडिचेरी की सॉफ्ट पत्थर की राखी शामिल हैं। इसके अलावा, तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम राखी, और भारत माता राखी की भी खूब डिमांड है।
इस बार स्वदेशी राखियों के प्रति बढ़ते रुझान और त्योहार की उमंग के कारण बाजारों में रौनक देखने लायक है। यह रक्षाबंधन निश्चित रूप से भारतीय उत्पादों और संस्कृति का उत्सव साबित हो रहा है।
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