सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट को निराशाजनक बताते हुए 9 अगस्त 2024 को पूरे देश में एनडीए सरकार के बजट के
Budget 2024-25: सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट को निराशाजनक बताते हुए 9 अगस्त 2024 को पूरे देश में एनडीए सरकार के बजट के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा की है। 10 ट्रेड यूनियनों के ज्वाइंट प्लेटफॉर्म ने इस बजट को विश्वासघात कहा है, जिसमें आम जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज कर केवल कॉरपोरेट्स का ध्यान रखा गया है।
भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह पर यह विरोध प्रदर्शन शुरू होगा, जो 14 अगस्त तक चलेगा। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि बजट में बेरोजगारी, महंगाई और ग्रामीण आर्थिक संकट जैसे अहम मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है, जिससे जनता में भारी रोष है।
– वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से निराश सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने 9 अगस्त 2024 को पूरे देश में एनडीए सरकार के बजट के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
– 10 ट्रेड यूनियनों के ज्वाइंट प्लेटफॉर्म सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने यह विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।
– ट्रेड यूनियनों ने कहा कि 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश राज से मुक्ति की भावना को प्रज्वलित किया था।
– इस महत्वपूर्ण दिन पर एनडीए सरकार के दमनकारी और देश-विरोधी बजट के खिलाफ विरोध की शुरुआत होगी, जो 14 अगस्त तक जारी रहेगी।
– सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने बयान जारी कर बजट को विश्वासघात बताते हुए कहा कि इसमें जरूरी आर्थिक मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है और केवल कॉरपोरेट्स का ध्यान रखा गया है।
– बेरोजगारी, ग्रामीण आर्थिक संकट, महंगाई जैसे मुद्दों को बजट में अनदेखा किया गया है।
– ट्रेड यूनियनों के मुताबिक, बीजेपी ने एक दशक से बेरोजगारी के मुद्दे की अनदेखी की है।
– सतत विकास और खपत बढ़ाने के लिए रोजगार सृजन सबसे प्रमुख मुद्दा है, लेकिन बजट में इसके लिए पर्याप्त आवंटन नहीं किया गया है।
– सेंट्रल ट्रेड यूनियन के मुताबिक, नए पेंशन स्कीम में सरकार का प्रस्ताव सरकारी कर्मचारियों के हक में नहीं है।
– ट्रेड यूनियन पुराने पेंशन स्कीम से जुड़े डीए को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
– किसानों की अनदेखी की गई है और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी पर बजट खामोश है।
– ट्रेड यूनियनों ने कहा कि बजट में फेडरलिज्म को नजरअंदाज किया गया है।
– असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए बजट में कोई उल्लेख नहीं है, जो कुल लेबरफोर्स का 96% हैं और जीडीपी में 50% का योगदान देते हैं।
– महिलाओं की अनदेखी की गई है और मनरेगा में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 19,297 करोड़ रुपये कम आवंटन किया गया है।
– सेंट्रल ट्रेड यूनियन के प्लेटफॉर्म के तहत इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू समेत 10 अलग-अलग ट्रेड यूनियन शामिल हैं।
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