नई दिल्ली. अगर आपको पराठा खाना पसंद है तो अब आपको ये महंगा पड़ सकता है. दरअसल, अब पराठे पर आपको 18 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ेगा, लेकिन अगर आप चपाती खाना चाहते हैं तो वह सस्ती पड़ेगी, चपाती पर सिर्फ पांच फीसदी ही टैक्स देना होगा. देश में जीएसटी लागू हुए इस साल पांच साल […]
नई दिल्ली. अगर आपको पराठा खाना पसंद है तो अब आपको ये महंगा पड़ सकता है. दरअसल, अब पराठे पर आपको 18 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ेगा, लेकिन अगर आप चपाती खाना चाहते हैं तो वह सस्ती पड़ेगी, चपाती पर सिर्फ पांच फीसदी ही टैक्स देना होगा.
देश में जीएसटी लागू हुए इस साल पांच साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन इसके बदलाव खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. जीएसटी के अमल और अधिसूचनाओं को लेकर आए दिन कोई न कोई बहस होती ही रहती है, ऐसा ही एक मामला रोटी और पराठे पर अलग-अलग जीएसटी दरों का है.
अगर आप पराठा खाना चाहते हैं तो अब आपको उसपर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा जबकि रोटी खाने पर सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी ही देना होगा. फ्रोजन रोटी-पराठे पर जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठे हैं, फ्रोजेन पराठे और रोटी बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि दोनों को बनाने की मूल सामग्री चूंकि गेहूं का आटा है, इसलिए इस पर समान जीएसटी लागू होना चाहिए, इस संबंध में वाडीलाल इंडस्ट्रीज का कहना था कि वह 8 तरह के पराठे बनाती है, जिसमें मूलतः आटे का ही इस्तेमाल होता है, जबकि मालाबार पराठे में आटे की मात्रा 62 फीसदी और मिक्स्ड वेजिटेबल पराठे में आटे की मात्रा 36 फीसदी होती है.
वहीं, गुजरात जीएसटी प्राधिकरण का कहना है कि रोटी रेडी टू ईट है, जबकि कंपनी का पराठा रेडी टू ईट नहीं बल्कि रेडी तो कूक है, इसके साथ ही प्राधिकारियों का साफ कहना है कि पराठा रोटी से पूरी तरह अलग है, उनका कहना है कि रोटी या चपाती को आप बगैर मक्खन या घी लगाए भी खा सकते हैं, लेकिन पराठा इनके बगैर नहीं बनता, चूंकि घी चुपड़ी रोटी या पराठा एक तरह से विलासिता की श्रेणी में आते हैं, इसलिए इन पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाना लाज़मी है.
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