हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी ओयो (Oyo) ने हाल ही में अपने आईपीओ (Initial Public Offering) को फिलहाल टालने
नई दिल्ली: हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी ओयो (Oyo) ने हाल ही में अपने आईपीओ (Initial Public Offering) को फिलहाल टालने का फैसला किया है। इस बीच, ओयो के फाउंडर और सीईओ रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) ने कंपनी के हालिया फंडिंग राउंड में 830 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह निवेश सिंगापुर की यूनिट पेशेंट कैपिटल (Patient Capital) के माध्यम से किया गया है। इस फंडिंग के साथ, ओयो ने कुल 1457 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं।
ओयो की मौजूदा वैल्यूएशन में पिछले कुछ सालों में भारी गिरावट आई है। 2019 में ओयो की मार्केट वैल्यू 10 अरब डॉलर थी, जो अब घटकर 2.4 अरब डॉलर रह गई है। इस नए फंडिंग राउंड में ओयो की वैल्यूएशन 75% तक कम हो गई है। जुलाई 2024 में, फंडिंग की पहली किस्त के तौर पर 416.85 करोड़ रुपये इनक्रेड वेल्थ के नेतृत्व में जुटाए गए थे। इसके बाद, 8 अगस्त को एक कंपनी की EGM (Extraordinary General Meeting) में शेयरहोल्डर्स ने 1047 करोड़ रुपये और जुटाने की मंजूरी दी थी।
इस फंडिंग राउंड में कई बड़े निवेशकों ने भी हिस्सा लिया। इनक्रेड वेल्थ (InCred Wealth) ने 76 करोड़ रुपये का निवेश किया, मैनकाइंड फार्मा के जेएंडए पार्टनर्स (J&A Partners) ने 120 करोड़ रुपये और एएसके (ASK) ने 14 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बावजूद, ओयो की वैल्यूएशन 2019 के 10 अरब डॉलर से घटकर 2.4 अरब डॉलर पर आ गई है।
सूत्रों के अनुसार, ओयो का आईपीओ अब लंबे समय के लिए टल सकता है। कंपनी का मानना है कि नए फंडिंग राउंड के बाद आने वाली तिमाहियों में उसका मुनाफा बढ़ सकता है। अब ओयो तभी आईपीओ की ओर बढ़ेगी जब वह लगातार तिमाहियों में मुनाफा कमा लेगी। रितेश अग्रवाल ने भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का भरोसा जताया है, और उन्होंने 830 करोड़ रुपये का निवेश भी इसी मकसद से किया है। इस नई फंडिंग के बाद, ओयो में रितेश अग्रवाल की हिस्सेदारी बढ़कर 32.57% हो जाएगी।
ओयो की मौजूदा स्थिति चुनौतीपूर्ण है, लेकिन कंपनी ने अभी भी अपनी विस्तार योजनाओं पर फोकस बनाए रखा है। वैल्यूएशन में गिरावट के बावजूद, कंपनी ने फंडिंग राउंड के जरिए पर्याप्त पूंजी जुटाई है, जिससे वह अपने ऑपरेशन्स को मजबूत कर सके।
हालांकि, ओयो के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपने वित्तीय प्रदर्शन को बेहतर बनाए और नए निवेशकों का विश्वास बहाल करे। आने वाले महीनों में, ओयो को अपने मुनाफे में सुधार के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे, ताकि वह आईपीओ के जरिए बाजार में वापस आ सके। रितेश अग्रवाल का निवेश यह संकेत देता है कि वे अपनी कंपनी में भरोसा रखते हैं और उसे मजबूत करने के लिए तैयार हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओयो आने वाले समय में कैसे प्रदर्शन करती है और क्या वह अपने आईपीओ के लिए तैयार हो पाती है।
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