Oxford Economics Report: नई दिल्ली, इंटरनेट और स्मार्टफोन के दौर में कमाई अब सिर्फ नौकरी या बिजनेस के जरिए ही कमाई नहीं की जा रही, डिजिटल युग में पैसे कमाने के कई ऐसे तरीके सामने आए हैं, जिन्हें पहले ज्यादा तवज्जों नहीं दी जाती थी. खास बात है कि इन नए तरीकों के जरिए न […]
नई दिल्ली, इंटरनेट और स्मार्टफोन के दौर में कमाई अब सिर्फ नौकरी या बिजनेस के जरिए ही कमाई नहीं की जा रही, डिजिटल युग में पैसे कमाने के कई ऐसे तरीके सामने आए हैं, जिन्हें पहले ज्यादा तवज्जों नहीं दी जाती थी. खास बात है कि इन नए तरीकों के जरिए न सिर्फ लोग अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था (Oxford Economics Report) में भी अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं, इस कड़ी में यूट्यूब भी रोजगार का एक अच्छा जरिया बनकर सामने आया है.
बृहस्पतिवार को ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यूट्यूब क्रिएटर्स (यूट्यूब पर वीडियो बनाने वाले) ने वीडियो बना-बनाकर साल 2020 में कोरोना काल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था(Indian Economy) में छह हज़ार आठ सौ करोड़ रुपये का योगदान दिया है. खास बात ये है कि यूट्यूबर्स ने 6,83,900 फुल टाइम नौकरियों के बराबर जीडीपी को मजबूती दी है. इस कड़ी में 92 फीसदी छोटे एवं मध्यम उद्यमियों का कहना है कि यूट्यूब की मदद से उन्हें दुनियाभर में नए लोगों तक पहुंचने में मदद मिली है.
यूट्यूब पार्टनरशिप के एशिया-प्रशांत के क्षेत्रीय निदेशक अजय विद्यासागर ने भारत में यूट्यूब की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को देखकर खुशी ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि देश के यूट्यूबर्स में आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सांस्कृतिक मूल्यों पर असर डालने की अहम शक्ति के रूप में उभरने की क्षमता है.
ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 40,000 से ज्यादा यूट्यूब चैनलों के एक लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स (ग्राहक) हैं, जिनकी संख्या हर साल 45 फीसदी की दर से बढ़ रही है. देश में कम-से-कम छह अंकों या उससे ज्यादा की कमाई करने वाले यूट्यूब चैनलों की संख्या में सालाना आधार पर 60 फीसद की बढ़त देखी जा रही है. गौरतलब है, देश में यूट्यूब का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 44.8 करोड़ है.