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हर चौथा विकासशील देश होगा और गरीब, 4 ट्रिलियन डॉलर की भारी जरूरत, निर्मला सीतारमण की चौंकाने वाली चेतावनी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट' को वर्चुअल तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि गरीब देशों की मदद के लिए मिलकर

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हर चौथा विकासशील देश होगा और गरीब, 4 ट्रिलियन डॉलर की भारी जरूरत, निर्मला सीतारमण की चौंकाने वाली चेतावनी
  • August 17, 2024 10:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ को वर्चुअल तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि गरीब देशों की मदद के लिए मिलकर काम करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें विकास की इस यात्रा में उन लोगों को शामिल करना होगा जो हाशिए पर हैं। सीतारमण ने बताया कि विकासशील देशों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है क्योंकि उन्हें पैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने के लिए 4 ट्रिलियन डॉलर की बेहद जरूरत है।

हर चौथा देश हो सकता है और गरीब

सीतारमण ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हर चार में से एक विकासशील देश इस साल के अंत तक और गरीब हो सकता है। ये देश कोविड से पहले की स्थिति में लौट सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन देशों में सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करना अब पहले से भी ज्यादा कठिन हो गया है। कुछ पैमानों पर तो ये देश पीछे की ओर जा रहे हैं। अगर इस स्थिति को ठीक करना है, तो 4 ट्रिलियन डॉलर की भारी-भरकम रकम खर्च करनी होगी।

विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर बुरा असर

वित्त मंत्री ने कहा कि विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों पर बुरा असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान भी इन मुद्दों पर जोर दिया था और वित्तीय मदद जुटाने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि विकास से कई समस्याओं को हल किया जा सकता है, जिससे ज्यादा आर्थिक अवसर पैदा किए जा सकते हैं। हमें नीतियां ऐसी बनानी होंगी जो लोगों को विकास की यात्रा में शामिल करें।

डेवलपमेंट बैंकों को बढ़ानी होगी जिम्मेदारी

सीतारमण ने कहा कि डेवलपमेंट बैंकों को भी अपनी जिम्मेदारी बढ़ानी होगी क्योंकि विकासशील देशों की आर्थिक जरूरतें पूरी करने में उनकी अहम भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि आर्थिक सुधारों के जरिए इन बैंकों से ज्यादा मदद मिल सकती है। साथ ही, पैसा जुटाने के दूसरे रास्ते भी तलाशने होंगे। उन्होंने कहा कि लो इनकम कंट्री प्राथमिकता में होनी चाहिए, लेकिन मिडिल इनकम कंट्री भी पर्यावरणीय बदलावों से जूझ रही हैं, इसलिए उनकी भी मदद जरूरी है। प्राइवेट सेक्टर को भी इसमें आगे आना होगा।

 

 

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