US: MQ9-B ड्रोन की खरीद से भारत को जानें क्या फायदा होगा

नई दिल्ली: पिछले हफ्ते अमेरिका ने भारत को अपने आधुनिक MQ-9B ड्रोन्स की बिक्री को मंजूरी दी है. बता दें कि इस समझौते पर मुहर लगने के बाद से चीन और पाकिस्तान से सटे सीमा और समुद्री इलाकों में भारत की ताकत तेजी से बढ़ने की पूरी उम्मीद है. दरअसल अमेरिका ने अब इन ड्रोन्स […]

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US: MQ9-B ड्रोन की खरीद से भारत को जानें क्या फायदा होगा

Shiwani Mishra

  • February 6, 2024 10:04 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली: पिछले हफ्ते अमेरिका ने भारत को अपने आधुनिक MQ-9B ड्रोन्स की बिक्री को मंजूरी दी है. बता दें कि इस समझौते पर मुहर लगने के बाद से चीन और पाकिस्तान से सटे सीमा और समुद्री इलाकों में भारत की ताकत तेजी से बढ़ने की पूरी उम्मीद है. दरअसल अमेरिका ने अब इन ड्रोन्स की ताकत के बारे में भी जानकारी दे दी है, और अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि “हमारा मानना ​​है कि इन ड्रोन्स की बिक्री से भारत को समुद्री सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र जागरूकता को मजबूत करने का अवसर मिलेगा”. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि इस समझौते के जरिए भारत के पास इन विमानों का सीधा स्वामित्व होगा और हम इस संबंध में अपने भारतीय भागीदारों के साथ सहयोग को और बढ़ाएंगे.

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बता दें कि अमेरिका ने 3.99 डॉलर (लगभग 33 हजार करोड़ रुपये) की अनुमानित भुगतान पर भारत को हथियारों से लैस 31 MQ-9B प्रीडेटर लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन की बिक्री को मंजूरी भी दे दी है. दरअसल इन ड्रोन से समुद्री मार्गों की निगरानी और टोही गश्ती क्षमता और भविष्य के खतरों से निपटने में भारत की क्षमता में बहुत मदद मिलेगा. साथ ही MQ-9B रीपर या प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये ड्रोन 40 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर करीब 40 घंटे तक उड़ान भी भर सकता है, और ये ड्रोन सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और हवा से जमीन पर सटीक हमले करने में बहुत सक्षम हैं.

जाने ये क्यों है खास

ये हर प्रकार के मौसम में 40 घंटे से ज्यादा समय तक उपग्रह के माध्यम से भी उड़ान भर सकता है, और अपनी क्षमताओं की कारण से प्रीडेटर ड्रोन को मानवीय मदद , आपदा सहायता, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन, विरोधी सतह युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, एयरबोर्न माइन काउंटरमेसर, लंबी दूरी की रणनीतिक आईएसआर, ओवर-द-एयर लक्ष्यीकरण, और पनडुब्बी रोधी युद्ध में उपयोग किया जा सकता है.

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