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अगले वित्त वर्ष में 6.5% की रफ्तार से दौड़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, EY रिपोर्ट में खुलासा!

भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian GDP) वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। ईवाई इकनॉमी वॉच की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, संतुलित राजकोषीय रणनीति और मानव पूंजी विकास पर ध्यान देने से भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि को मजबूती मिलेगी।

inkhbar News
  • March 31, 2025 11:13 am Asia/KolkataIST, Updated 4 weeks ago

नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian GDP) वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। ईवाई इकनॉमी वॉच की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, संतुलित राजकोषीय रणनीति और मानव पूंजी विकास पर ध्यान देने से भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि को मजबूती मिलेगी। ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय जीडीपी की वृद्धि दर 6.4% रहने की संभावना है। जबकि 2025-26 में यह बढ़कर 6.5% तक पहुंच सकती है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को अपनी राजकोषीय नीति को ‘विकसित भारत’ के विजन के अनुरूप बनाना होगा।

विकास के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर अब क्रमश: 7.6 प्रतिशत, 9.2 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 6.2% की वृद्धि रहने का अनुमान है, जिसका मतलब है कि चौथी तिमाही में 7.6% की ग्रोथ जरूरी होगी। इसे हासिल करने के लिए निजी उपभोग में 9.9% की वृद्धि या सरकारी निवेश में तेजी लाने की जरूरत होगी।

किन क्षेत्रों में बजट बढ़ाना होगा

ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक निवेश से लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को अगले दो दशकों में इन क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाकर उच्च आय वाले देशों के स्तर तक ले जाना चाहिए। विश्लेषण के मुताबिक, भारत को अपने शिक्षा बजट को मौजूदा 4.6% से बढ़ाकर 6.5% और स्वास्थ्य बजट को 1.1% से बढ़ाकर 3.8% करने की जरूरत होगी। इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।

क्या भारत 6.5% ग्रोथ का लक्ष्य हासिल कर पाएगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि बुनियादी ढांचे में निवेश, सरकारी खर्च और निजी खपत में बढ़ोतरी से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और महंगाई इस राह में चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं। अब देखना होगा कि भारत किस तरह से इन आर्थिक संभावनाओं को भुनाता है और ‘विकसित भारत’ के सपने को हकीकत में बदलता है!

 

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