डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, महंगाई का लगेगा झटका

Rupee Vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया ऑलटाइम लो पर जा पहुंचा है। करेंसी मार्केट में एक डॉलर के मुकाबले रुपया 83.96 के निचले स्तर पर फिसल गया है। इसके बाद रुपया 84 के स्तर तक जाता दिख रहा है। पिछले सेशन में रुपया 83.86 के स्तर पर बंद हुआ था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली और डॉलर की डिमांड बढ़ने से रुपये में ये कमजोरी आई है।

डॉलर के मुकाबले रुपये में सबसे बड़ी गिरावट

मंगलवार ( 6 अगस्त, 2024) को फॉरेक्स मार्केट के खुलने पर एक डॉलर के मुकाबले रुपया 83.84 रुपये पर खुला, लेकिन विदेशी बैंकों की भारी डिमांड के चलते रुपया 83.96 के स्तर तक गिर गया। फिलहाल रुपया 83.94 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। दो दिन के कारोबार में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 13,400 करोड़ रुपये के स्टॉक्स बेचे हैं, जिसमें केवल 5 अगस्त, 2024 को 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के स्टॉक्स शामिल हैं।

महंगाई का असर

कच्चे तेल के फायदे पर पानी

डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी भारत के लिए बुरी खबर है। इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दामों में गिरावट आई है और यह 76 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है, जो भारत के लिए अच्छी खबर हो सकती थी। लेकिन रुपये की कमजोरी कच्चे तेल में गिरावट के फायदे को खत्म कर सकती है। भारतीय तेल कंपनियों को आयात के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

दाल और खाने का तेल होगा महंगा

भारत में दाल की कीमतें पहले ही बढ़ी हुई हैं। रुपये की कमजोरी के कारण दालों का आयात महंगा हो जाएगा और घरेलू कीमतों पर असर पड़ेगा। भारत खाने के तेल की खपत को पूरा करने के लिए भी आयात पर निर्भर है, जिससे खाने का तेल भी महंगा हो सकता है।

सोने की ज्वेलरी होगी महंगी

रुपये की कमजोरी का असर सोने की कीमतों पर भी पड़ेगा। भारत अपने सोने की खपत के लिए आयात पर निर्भर है। इससे सोने की ज्वेलरी महंगी हो सकती है, खासकर त्योहारों के सीजन में जब मांग बढ़ जाती है।

कारें और गैजेट्स महंगे हो सकते हैं

भारत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स का आयात करता है। रुपये की कमजोरी के बाद ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स का आयात महंगा हो जाएगा। इससे कारें और गैजेट्स भी महंगे हो सकते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार 671 बिलियन डॉलर के ऑलटाइम हाई को छूने के बाद घट गया है। रुपये को और ज्यादा गिरने से बचाने के लिए आरबीआई अपने रिजर्व से डॉलर बेच सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है। इस गिरावट का प्रभाव आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा, जिससे रोजमर्रा की चीजें महंगी हो सकती हैं।

 

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