सोने की कीमतों ने हाल के दिनों में रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब यह 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है. आम लोगों से लेकर निवेशकों तक सभी के लिए चर्चा का विषय बन गई है. पिछले एक दशक में सोने ने जो शानदार प्रदर्शन किया है वह इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह तेजी बनी रहेगी या कीमतों में गिरावट का दौर शुरू होगा?
Gold Rate: सोने की कीमतों ने हाल के दिनों में रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब यह 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं चांदी भी 1,05,000 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुकी है. यह तेजी आम लोगों से लेकर निवेशकों तक सभी के लिए चर्चा का विषय बन गई है. पिछले एक दशक में सोने ने जो शानदार प्रदर्शन किया है वह इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह तेजी बनी रहेगी या कीमतों में गिरावट का दौर शुरू होगा?
होली के दिन से सोने की कीमतों में तेजी का सिलसिला शुरू हुआ. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर होली के दिन दोपहर में बाजार खुलते ही सोना पहली बार 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया. 18 मार्च को यह 88,500 रुपये के करीब पहुंचा जो एक नया कीर्तिमान है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों खासकर न्यूयॉर्क में भी सोने ने नई ऊंचाइयां छुईं. विशेषज्ञों के अनुसार 18 मार्च से शुरू हुई अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक और 19 मार्च को ब्याज दरों की घोषणा इस तेजी को और बढ़ा सकती है. निवेशकों को उम्मीद है कि फेड ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है जिससे सोने की चमक और बढ़ेगी.
पिछले एक साल में सोने ने निवेशकों को हैरान कर दिया है. दिसंबर 2024 के आखिरी कारोबारी दिन MCX पर सोना 77,456 रुपये प्रति 10 ग्राम था जो अब 90,000 रुपये तक पहुंच गया. इस साल अब तक 11,043 रुपये की बढ़ोतरी हुई जो 14.25% का इजाफा है. अकेले मार्च में ही 6,280 रुपये (7.64%) की वृद्धि देखी गई. चांदी की कीमतों में भी तेजी आई है लेकिन सोने की रफ्तार सबसे आगे रही. जानकार इसे भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ती महंगाई से जोड़ते हैं, जो सोने को सुरक्षित निवेश का दर्जा देते हैं.
पिछले एक दशक में सोने की कीमतों ने लंबा रास्ता तय किया है. 2015 में जहां सोना 25,000 रुपये प्रति 10 ग्राम था वहीं अब यह 90,000 रुपये के आसपास है. चांदी भी 35,000 रुपये से बढ़कर 1,05,000 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गई. यह वृद्धि सोने की स्थिरता और इसके सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है.
फंड्सइंडिया के डेटा के मुताबिक 1980 के बाद से सोने में तीन बार 30% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. 1970 के दशक से कीमतों का विश्लेषण बताता है कि सोने की मौजूदा कीमत और इसके 200-दिन के मूविंग एवरेज के बीच का अंतर असामान्य रूप से बड़ा है. यह पैटर्न अक्सर तेजी के बाद लंबे समय तक कमजोरी का संकेत देता है.
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