गिग वर्कर्स की टैक्स के दायरे में भी नहीं आ रही कमाई, हालत चिंताजनक

जोमैटो, स्विगी, ऊबर और अमेज़न जैसी कंपनियों के लिए काम करने वाले गिग वर्कर्स (Gig Workers) की कमाई इतनी कम है कि वे साल में 2.50 लाख

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गिग वर्कर्स की टैक्स के दायरे में भी नहीं आ रही कमाई, हालत चिंताजनक

Anjali Singh

  • August 24, 2024 10:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: जोमैटो, स्विगी, ऊबर और अमेज़न जैसी कंपनियों के लिए काम करने वाले गिग वर्कर्स (Gig Workers) की कमाई इतनी कम है कि वे साल में 2.50 लाख रुपये भी नहीं कमा पा रहे हैं। नतीजतन, ये लोग इनकम टैक्स भरने के दायरे में भी नहीं आते। हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार, गिग इकोनॉमी में भले ही तेजी से उछाल आया हो, लेकिन इनमें काम करने वाले कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति अभी भी बेहद कमजोर है। 40 शहरों में 2000 से ज्यादा गिग वर्कर्स पर आधारित इस सर्वे से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

बड़े ब्रांड्स के बावजूद नहीं पर्याप्त कमाई

दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में जोमैटो, स्विगी, ऊबर और अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियों में काम करने वाले गिग वर्कर्स की स्थिति पर किए गए इस सर्वे से पता चला है कि लगभग 78% गिग वर्कर्स की सालाना कमाई 2.5 लाख रुपये से कम है। बोरजो (Borzo) के एमडी यूजीन पैनफिलोव के अनुसार, जब ये कर्मचारी इतनी कमाई ही नहीं कर पा रहे हैं तो वित्तीय प्लानिंग और टैक्स के बारे में जागरूकता की उम्मीद करना मुश्किल है। ये लोग रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने में ही संघर्ष कर रहे हैं।

परमानेंट कर्मचारी न होने का खामियाजा

गिग वर्कर्स को परमानेंट कर्मचारी न होने की वजह से उन सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता जो एक स्थायी कर्मचारी को मिलती हैं। सर्वे में पाया गया कि 61% गिग वर्कर्स को इनकम टैक्स स्लैब की जानकारी ही नहीं है। सिर्फ 33.5% ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते हैं, जिनमें से 66% जीरो रिटर्न भरते हैं। ITR न भरने वाले 42% गिग वर्कर्स ने इच्छा जताई कि वे टैक्स भरना चाहते हैं, लेकिन उनकी आय इतनी नहीं है कि वे इसे फाइल कर सकें।

तेजी से बढ़ रही गिग वर्कर्स की संख्या

नीति आयोग (Niti Aayog) के अनुसार, देश में वर्तमान में लगभग 70 लाख गिग वर्कर्स हैं और यह आंकड़ा 2030 तक 2.5 करोड़ तक पहुंच सकता है। हालांकि, सर्वे से यह भी पता चला कि गिग वर्कर्स में से सिर्फ 23% ही 500 से 1000 रुपये के बीच म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और केवल 26% ही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाते हैं। पिछले साल के सर्वे में यह भी सामने आया था कि इन गिग वर्कर्स में से 38% केवल 12वीं पास हैं, जबकि 29% ने बीए, बीकॉम और बीएससी जैसी डिग्रियां प्राप्त की हैं।

क्या करना चाहिए?

इस स्थिति में गिग वर्कर्स को बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए कंपनियों को स्थिर आय, बीमा और अन्य लाभों पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को भी इस सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए खास योजनाएं लानी चाहिए, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके और उन्हें भी मुख्यधारा के कर्मचारी जैसे लाभ मिल सकें।

 

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