GDP Declines in Q2: कहां गए नरेंद्र मोदी सरकार के ‘अच्छे दिन’, जीडीपी ग्रोथ रेट एक साल में 7 से गिरकर 4.5 फीसदी पर

GDP Declines in Q2: नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आंकड़ा पिछले एक साल में 2.5 फीसदी तक गिर गयाी है. पिछले साल भारत की जीडीपी विकास दर 7 फीसदी थी. हाल में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आकंड़ों के मुताबिक देश की जीडीपी विकास दर 4.5 प्रतिशत तक पहुंच गई है. यह 2013 के बाद सबसे निचले स्तर पर है.

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GDP Declines in Q2: कहां गए नरेंद्र मोदी सरकार के ‘अच्छे दिन’, जीडीपी ग्रोथ रेट एक साल में 7 से गिरकर 4.5 फीसदी पर

Aanchal Pandey

  • November 29, 2019 6:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भारत की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ ही दिशा और दशा बदलने का दावा करते हुए ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ का नारा दिया था और कांग्रेस से त्रस्त देश की जनता ने उनके दावों को ज्यादा सीरियसली लेते हुए बहुमत देकर दिल्ली की गद्दी पर यानी केंद्र की सत्ता में काबिज कराया था, लेकिन क्या वाकई अच्छे दिन आ गए या अच्छे दिन लाने की आड़ में भारतीय अर्थव्यवस्था की ऐसी तैसी कर दी गई. ये सवाल मैं नहीं, देश की करोड़ों जनता कर रही है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगने लगा है. लगे भी क्यों नहीं, क्योंकि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 फीसदी पर आ गई है.

मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी आर्थिक आंकड़ों की तह खोलने पर यही लगता है कि आर्थिक मोर्च पर बीजेपी नीत केंद्र की एनडीए सरकार लगातार विफल साबित हो रही है और दिनोंदिन ऐसी खबरें आ रही हैं, जहां पता चलता है कि भारत की स्थिति मोदी सरकार में बेहतर होने की जगह बदतर होती जा रही है.

आपको बता दूं कि ठीक एक साल पहले जीपीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी थी, लेकिन अब के हालात देखें तो यह 2.5 फीसदी घटकर यानी 30 पर्सेंट से ज्यादा घटकर 4.5 फीसदी पर टिक गई है. इससे पहले की तिमाही यानी अप्रैल-जून में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी था.

उल्लेखनीय है कि मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे में जरबदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है और बीते 7 महीने के दौरान राजकोषीय घाटे में बजट से तय लक्ष्य से ज्यादा बढ़ोतरी दिखी है. वहीं जुलाई, अगस्त और सितंबर की तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी बीते 27 तिमाहियों में सबसे ज्यादा है.

अब बात ये सवाल सबसे ज्यादा प्रासंगिक है कि क्या पीएम मोदी देश-विदेश में भारत की आर्थिक और राजनीतिक-सामाजिक छवि सुधरने के दावे ऐसे ही करते रहते हैं और साथ ही उनके विदेशों से निवेश लाने की बातों की सच्चाई कुछ और ही है. जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी से तो यही पता चलता है कि भारत में व्यापार और निवेश के हालात वैसे नहीं है, जैसे दावे किए जाते हैं.

आर्थिक मोर्च पर भारत की फिसड्डी हो रही अर्थव्यवस्था और मोदी सरकार के नाकाफी प्रयासों की बानगी ही है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करती है. अक्सर ऐसे मौकों पर यह बात पूरे सबाब पर आ जाती है कि नोटबंदी और जीएसटी के जख्म अब भी भरे नहीं हैं और जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी के रूप में ये सामने आ ही जाते हैं.

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