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FM निर्मला सीतारमण की बड़ी मजबूरी, पॉपकॉर्न पर आ के अटकी, ये बाजार करेगा मालामाल

GST काउंसिल ने शनिवार को पॉपकॉर्न को तीन तरह के टैक्स स्लैब में डाल दिया है। 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी। अब सवाल यह है कि सरकार को ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि पॉपकॉर्न जैसी चीज को GST के दायरे में लाना पड़ा। आइए आज के आर्टिकल में यह जानते हैं।

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GST Council Meeting
  • December 21, 2024 7:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 hours ago

नई दिल्ली : GST काउंसिल ने शनिवार को पॉपकॉर्न को तीन तरह के टैक्स स्लैब में डाल दिया है। 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी। अब सवाल यह है कि सरकार को ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि पॉपकॉर्न जैसी चीज को GST के दायरे में लाना पड़ा। आइए आज के आर्टिकल में यह जानते हैं।

2600 करोड़ रूपयों का बाजार

पॉपकॉर्न का बाजार भारत में बहुत बड़ा माना जाता है। अनुमानों के अनुसार भारत में इसका मार्केट साइज करीब 1200 करोड़ रूपए का है। जो साल 2023 में करीब 2600 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

पॉपकॉर्न मार्केट में 12% की बढ़ोतरी

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 से 2024 तक पॉपकॉर्न मार्केट में 12 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिला है। खास बात यह है कि पूरी दुनिया में पॉपकॉर्न का बाजार 75 हजार करोड़ रुपये का है। अब आप समझ सकते हैं कि सरकार के लिए पॉपकॉर्न से कमाई करना कितना जरूरी हो गया है।

पॉपकॉर्न का बाजार

भारत में पॉपकॉर्न का मार्केट तेजी से साथ बूस्ट क्र रहा है। देश में बीत कुछ सालों में इसकी ग्रोथ 10 % से ज्यादा देखने को मिली रही है। साल 2023 तक 12 % तक यह बाजार बढ़ सकता है। आंकड़ों के अनुसार पॉपकॉर्न का साल 2023 तक 1,158 करोड़ रुपए का था जो कि मौजूदा समय में करीब 1,200 करोड़ रूपए के आस-पास देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में पॉपकॉर्न बाजार 2024 से 2030 तक 12.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

बाजार में कैसे बढ़ी मांग

देश में पॉपकॉर्न की बढ़ती मांग इसका मुख्य कारण है। आम लोगों मल्टीप्लेक्स और मूवी थिएटर में जाते है मूवी के साथ पॉपकॉर्न खाते । वहीं, घर पर भी इसकी खपत काफी बढ़ गई है। खास तौर पर तब जब घर के सभी लोग एक साथ बैठकर घर पर मूवी या क्रिकेट मैच देखते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो 2021 में रेडी-टू-ईट (RTE) पॉपकॉर्न सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करने वाला टाइप रहा। जबकि माइक्रोवेव पॉपकॉर्न सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट नजर आया। अगर सेलर की बात करें तो भारत का मल्टीप्लेक्स PVR औसतन 18,000 पॉपकॉर्न टब प्रतिदिन बेचता है। भारत के करीब 80 फीसदी मल्टीप्लेक्स को बानाको पॉपकॉर्न ग्रेन सप्लाई करता है।

वैश्विक बाजार भी बड़ा

दूसरी तरफ, अगर वैश्विक बाजार की बात करें तो यह भी छोटा नहीं है। मोर्डोर इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में पॉपकॉर्न का बाजार 8.80 बिलियन डॉलर यानी करीब 75 हजार करोड़ रुपये का है। जिसके साल 2029 तक 14.89 बिलियन डॉलर यानी 1.26 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर पॉपकॉर्न का बाजार 2024 से 2029 तक 11.10 फीसदी बढ़ सकता है। पॉपकॉर्न का सबसे बड़ा बाजार उत्तरी अमेरिका है। जबकि सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार एशिया प्रशांत है। वैश्विक स्तर पर पॉपकॉर्न के बड़े खिलाड़ियों में हर्षे, पेप्सिको, पॉप वीवर, कॉनएग्रा आदि शामिल हैं।

पॉपकॉर्न पर टैक्स

जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न को जीएसटी के दायरे में ला दिया है। जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न को स्वाद के हिसाब से जीएसटी के अलग-अलग स्लैब में रखा है वहीं, पैकेज्ड और लेबल्ड नहीं होगा उस पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा, पैकेज्ड और लेबल वाले पॉपकॉर्न पर जीएसटी दर 12 फीसदी होगी। कारमेल जैसी चीनी से तैयार पॉपकॉर्न को 18 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है।

 

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