नई दिल्लीः यातायात के सभी संसाधनों पर फोकस किया जाएगा। मिशन 2030 के तहत रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर विशेष जोर दिया है। ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, पत्तन संपर्क (आयरन-ओर) कॉरिडोर को ज्यादा मजबूती मिलेगी। नए बंदरगाहों तक मालगाड़ी के लिए समर्पित रेलवे ट्रैक पहुंचाया जाएगा। नए ट्रैक से आवागमन में भी आसानी होगी। यात्रियों की सुविधा का […]
नई दिल्लीः यातायात के सभी संसाधनों पर फोकस किया जाएगा। मिशन 2030 के तहत रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर विशेष जोर दिया है। ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, पत्तन संपर्क (आयरन-ओर) कॉरिडोर को ज्यादा मजबूती मिलेगी। नए बंदरगाहों तक मालगाड़ी के लिए समर्पित रेलवे ट्रैक पहुंचाया जाएगा। नए ट्रैक से आवागमन में भी आसानी होगी। यात्रियों की सुविधा का भी ख्याल रखा गया है। वंदे भारत आधुनिक तकनीक और सुविधायुक्त ट्रेन है। 40 हजार साधारण कोच भी वंदे भारत की तर्ज पर अपग्रेड होने से आम लोगों की यात्रा भी आरामदायक हो जाएगी।
हालाँकि, यह केवल इलेक्ट्रिक कोच में ही संभव है। बता दें वर्तमान में 65,000 किमी रेलवे लाइनें हैं। स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग 11,500 किमी लंबा है और 60% यात्री ट्रेनों की सेवा प्रदान करता है। अतिरिक्त ट्रैक बनाने से यात्री ट्रेनें तेजी से चल सकेंगी। मेट्रो और नमो रेल विस्तार की योजना बेहतर है. दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत नमो रेलवे एनसीआर के मध्यम वर्ग को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और तेजी से शहरीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
जितनी कनेक्टिविटी बढ़ेगी, उतना ज्यादा शहरीकरण होगा। इससे 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र में जरूर शामिल हो जाएगा। एयरपोर्ट दोगुने होने और 1000 से ज्यादा नए विमान रनवे पर उतरने से हवाई मार्ग के यात्रियों को सहूलियत होगी। निर्माण से लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर, भारत और दूसरे देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी योजना है। यह आने वाले सैकड़ों सालों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ। भू-राजनीतिक दृष्टि से, वैश्विक मामले युद्धों और विवादों की वजह से और ज्यादा जटिल और चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। कोविड महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर कर सामने आती नजर आ रही है।
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