सीमा पर तनाव के बावजूद चीन से तेजी से बढ़ रहा कारोबार, व्यापार घाटा भी बढ़ा

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव सालों से जारी है। गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की मुहिम छिड़ी थी। सरकार ने कई चीनी कंपनियों को देश से कारोबार समेटने पर भी मजबूर किया था। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। खासकर, चीन से आयात में तेजी देखी जा रही है, जिससे व्यापार घाटा भी बढ़ता जा रहा है।

व्यापार घाटे में बढ़ोतरी

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अगस्त 2024 के बीच चीन को भारत से निर्यात 8.3% घटकर 5.8 अरब डॉलर रह गया है। वहीं, चीन से आयात में 10.96% की बढ़ोतरी हुई और यह 46.65 अरब डॉलर हो गया। इसके चलते व्यापार घाटा 35.85 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। सिर्फ अगस्त में ही चीन को निर्यात 22.44% घटकर 1 अरब डॉलर रह गया, जबकि आयात 15.55% बढ़कर 10.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

अन्य देशों के साथ भी व्यापार में गिरावट

भारत का अमेरिका, यूएई, सिंगापुर, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस और तुर्की जैसे देशों को निर्यात घटा है। इसके विपरीत यूएई, स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, थाईलैंड और वियतनाम से आयात बढ़ा है। अमेरिका पहले भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, लेकिन अब चीन इस जगह पर आ गया है।

अमेरिका के साथ व्यापार की स्थिति

अगस्त में भारत से अमेरिका को निर्यात 6.29% घटकर 6.55 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 6.3% घटकर 3.82 अरब डॉलर रहा। हालांकि, अप्रैल से अगस्त के बीच अमेरिका को निर्यात 5.72% बढ़कर 34 अरब डॉलर हो गया और आयात 3.72% बढ़कर 19 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसके चलते भारत को अमेरिका के साथ 15 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष मिला।

रूस के साथ भी घटा व्यापार

रूस से भारत का आयात भी अगस्त में 40% घटकर 2.57 अरब डॉलर रह गया। हालांकि, कच्चे तेल के आयात की वजह से अप्रैल से अगस्त के बीच रूस से आयात 6.39% बढ़कर 27.35 अरब डॉलर हो गया है।

 

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