नई दिल्ली. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, NCLAT ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को अवैध ठहरा दिया है. इस आदेश के बाद टाटा मैनेजमेंट को बड़ा झटका लगा है. एनसीएसएटी ने साइरस मिस्त्री को फिर से टाटा सन्स का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाने का फैसला सुनाया है. अब टाटा ग्रुप इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है.
तीन साल बाद फिर टाटा के चेयरमैन बनेंगे साइरस मिस्त्री-
एनसीएलएटी के आदेश के बाद एक बार फिर साइरस मिस्त्री टाटा सन्स के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनेंगे. तीन साल पहले उन्हें इस पद से हटाया गया था. साइरस मिस्त्री 2012 में पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद इस पद पर काबिज हुए थे. अक्टूबर 2016 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था.
इसके बाद साइरस मिस्त्री ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से संपर्क किया और इसकी शिकायत की. हालांकि इससे पहले टाटा में निवेश करने वाली दो प्राइवेट फर्म ने भी साइरस मिस्त्री को हटाने के खिलाफ एनसीएलएटी में याचिका दायर की थी, जो खारिज कर दी गई थीं.
साइरस मिस्त्री को क्यों हटाया-
साइरस मिस्त्री के टाटा सन्स के चेयरमैन बनने के बाद से ही उनका कंपनी बोर्ड के अन्य सदस्यों से मतभेद हुए थे. रतन टाटा खेमे के अधिकारी उनकी मनमानियों से परेशान हो चुके थे.
इसके बाद टाटा ग्रुप ने यह कहते हुए साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था कि बोर्ड ने उनके प्रति विश्वास खो दिया है. टाटा ग्रुप ने कहा कि साइरस मिस्त्री कंपनी को नुकसान पहुंचाने वाले काम कर रहे हैं. कंपनी की संवेदनशील जानकारियां लीक कर रहे हैं. जिससे कंपनी को बाजार में काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
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