नई दिल्ली. मशहूर उद्योपति और व्यापारी साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई, दरअसल मिस्त्री अहमदाबाद से मुंबई की तरफ आ रहे थे जिस दौरान ये हादसा हुआ. रविवार (4 सितंबर) को यह हादसा करीब दोपहर साढ़े तीन बजे गया, पालघर के पास चारोटी इलाके में सूर्या नदी पर बने पुल से […]
नई दिल्ली. मशहूर उद्योपति और व्यापारी साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई, दरअसल मिस्त्री अहमदाबाद से मुंबई की तरफ आ रहे थे जिस दौरान ये हादसा हुआ. रविवार (4 सितंबर) को यह हादसा करीब दोपहर साढ़े तीन बजे गया, पालघर के पास चारोटी इलाके में सूर्या नदी पर बने पुल से गुजरते वक्त साइरस मिस्त्री की गाड़ी डिवाइडर से टकरा गई और उनकी मौके पर ही मौत हो गई. साइरस मिस्त्री मर्सिडीज गाड़ी पर सवार थे, उस दौरान उनके साथ कार में चार लोग बैठे थे. साइरस मिस्त्री समेत दो की मौके पर ही मौत हो गई, बाकी दो लोगों को स्थानीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है.
साइरस मिस्त्री के बारे में ये तो कई लोगों को पता है कि उन्होंने बिजनेस की पढ़ाई लंडन से की थी और 42 साल की उम्र में वो टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बन गए थे. टाटा समूह के अध्यक्ष के तौर पर उनके विवादास्पद करियर पर भी बहुत बातें हुई हैं, लेकिन यह बात बहुत कम ही लोग जानते हैं कि साइरस मिस्त्री का ताल्लुक मशहूर फिल्म मुगल-ए-आजम को बनाने वाले परिवार से रहा है.
दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर के अभिनय से सजी फिल्म मुगल-ए-आजम साल 1960 में बनी थी, यह भारत सिनेमा जगह की तीन सबसे हिट और अहम फिल्मों में से एक मानी जाती है. इस फिल्म को बनाने में 14 साल का लंबा समय लगा था, वहीं इस फिल्म को बनाने के लिए ना सिर्फ बड़ी कहानी, बड़े स्टारकास्ट और बड़े निर्देशक की जरूरत थी बल्कि इस फिल्म को बनाने के लिए जितने पैसे खर्च होने वाले थे उसे वहन करने के लिए भी बड़े जिगर की जरूरत थी. बता दें इस फिल्म को बनाने वाले कोई और नहीं साइरस मिस्त्री के दादा थे.
यह फिल्म स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड ने बनाई थी, बता दें इस कंपनी के मालिक साइरस मिस्त्री के दादा शापूरजी पालोन जी थे. उन्होंने इस फिल्म को बनाने में पानी की तरह पैसा बहाया था और एक समय ऐसा आया था जब उन्होंने मन बना लिया था कि इस फिल्म में वे और खर्च नहीं करेंगे.
इस फिल्म के रोज नए-नए सेट बनाए जाते थे. डायरेक्टर के आसिफ जो ख्वाब देख रहे थे उस हिसाब से उन्हें सेट कमतर ही नजर आते थे और वो सेट तोड़ दिए जाते थे. फिर नया सेट तैयार किया जाता था, ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ इस मशहूर गाने को फिल्माने के लिए लाहौर के शीश महल का सेट बनवाया गया था. इस एक गाने पर उस जमाने में 15 लाख का खर्च हुआ था, शीश महल का सेट ही बनने में दो साल का समय लग गया था. बजट से कई गुना ज्यादा खर्च होने पर भी पालोन जी को जाने क्यों यह एहसास होता था यह फिल्म सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी. इसलिए वे पैसा लगाते गए और फिल्म जब बनी तो फिल्म ने वाकई इतिहास रच दिया.