ईटानगर: कोविड-19 के बाद से लोग अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। विभिन्न सब्जियों में से ब्रोकली पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण काफी मांग में है। अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में ओटोक नोपी तग्गू ने ब्रोकली की खेती करने से लाखों रुपये कमा लिए है। कृषि विज्ञान केंद्र ओटोक […]
ईटानगर: कोविड-19 के बाद से लोग अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। विभिन्न सब्जियों में से ब्रोकली पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण काफी मांग में है। अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में ओटोक नोपी तग्गू ने ब्रोकली की खेती करने से लाखों रुपये कमा लिए है।
ओटोक ने छोटी उम्र में ही स्कूल छोड़कर खेती करने का निर्णय लिया था। पिछले 15 सालों से वह विभिन्न बागानों में काम कर रही हैं। उनकी सफलता में कृषि विज्ञान केंद्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ओटोक ने केवीके की सहायता से अपर सियांग में ढाई साल पहले ब्रोकली की जैविक खेती शुरू की। उन्होंने इस खेती के लिए विशेष ट्रेनिंग भी ली।
केवीके ने ओटोक जैसे कई किसानों को ब्रोकली की खेती के लिए बीज और अन्य सहायता प्रदान की। ओटोक ने एक हेक्टेयर जमीन पर ब्रोकली की खेती की, जिससे उन्हें 5000 किलोग्राम की उपज मिली। इस खेती से उन्होंने 1.74 लाख रुपये का मुनाफा कमाया और बीसीआर (लाभ-लागत अनुपात) 3.35 रहा। ब्रोकली के अलावा, ओटोक ने इसकी पत्तियों को भी बेचना शुरू किया, जिससे उनकी आय बढ़ गई । ब्रोकली की कीमत 50 रुपये प्रति किलो और पत्तियों की कीमत 20 रुपये प्रति गुच्छा रही।
कोविड के बाद से लोग स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं, और ब्रोकली को इसके स्वास्थ्य लाभों के लिए पसंद किया जाता है। अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में ब्रोकली की खेती न केवल आसान है, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी भी है।
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