नई दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से कमोडिटी बाजार में भी गिरावट का दौर जारी है। इसी बीच कच्चे तेल के भाव में 30 फ़ीसदी से ऊपर तक कि गिरावट आ चुकी है। जिससे आम जनता को यह उम्मीद हो रही की जब कच्चे तेल का भाव बढ़ा था तो पेट्रोल-डीजल के भाव में भारी […]
नई दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से कमोडिटी बाजार में भी गिरावट का दौर जारी है। इसी बीच कच्चे तेल के भाव में 30 फ़ीसदी से ऊपर तक कि गिरावट आ चुकी है। जिससे आम जनता को यह उम्मीद हो रही की जब कच्चे तेल का भाव बढ़ा था तो पेट्रोल-डीजल के भाव में भारी बढ़ोत्तरी हुई. अब कच्चे तेल का भाव ऊपरी स्तर से गिर चुका हैं, तो पेट्रोल-डीजल के भाव में भी गिरावट देखने को मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा होता संभव नहीं दिख रहा है।
इस वर्ष जून के शुरुआत में कच्चे तेल के कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, उसके कई कारण भी थे उसमे रूस और यूक्रेन का युद्ध प्रमुख था. जिसका प्रभाव दुनिया भर के देशो में देखने को मिला जिसके बाद पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छूने लगे थे , उस वक़्त कच्चे तेल का भाव $124 तक पहुंच गया था लेकिन गिरावट के बाद कच्चे तेल का दाम $86 पर आ चूका है।
कच्चे तेल के भाव में गिरावट का होगा फयदा
बाजार के जानकारों के अनुसार कच्चे तेल के भाव में गिरावट का फयदा आम जनता को नहीं होने वाला है। दिग्गजों का यह मानना है की पेट्रोल डीजल का कारोबार करने वाली कंपनियां अपने घाटे की भरपाई करने में लगी है। इसलिए कच्चे तेल को रिफाइन कर पेट्रोल-डीजल का कारोबार करने वाली कम्पनिया ग्राहकों को इस गिरावट का फयदा नहीं पहुंचाने वाली है।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कई महीने तक ईंधन महंगे रेट पर बेचना पड़ा है इसलिए सरकार कच्चे तेल के भाव में गिरावट से होने वाले मुनाफे की इजाजत दे सकती है।
कच्चे तेल में कमजोरी की क्या है वजह
जानकारों के अनुसार, डॉलर की तुलना में रुपए में लगातार गिरावट देखी जा रही है जिसके वजह से कच्चे तेल के भाव में गिरावट हो रही है।