नई दिल्ली : चालू वित्त वर्ष 2024/25 में खुदरा महंगाई दर 5 साल के निचले स्तर पर आ सकती है,और सब्जियों की आपूर्ति और कीमतें सामान्य होने से खुदरा महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2024-25 […]
नई दिल्ली : चालू वित्त वर्ष 2024/25 में खुदरा महंगाई दर 5 साल के निचले स्तर पर आ सकती है,और सब्जियों की आपूर्ति और कीमतें सामान्य होने से खुदरा महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2024-25 में गिरकर 4.4 प्रतिशत हो सकती है. ये आरबीआई के 4.5 फीसदी के अनुमान से कम है. 2023-24 में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत थी, जबकि 2019-20 में 4.8 फीसदी रही थी.
CMIE ने कहा है कि इस साल आलू, प्याज और टमाटर जैसी कई प्रमुख सब्जियों की आपूर्ति सामान्य रहेगी,और कीमतों में भी बड़े बदलाव के संकेत नहीं हैं. ये खुदरा मुद्रास्फीति को 2024-25 में आरबीआई के 4% के लक्ष्य के करीब लाता है. बता दें कि अन्य उत्पादों की ऊंची कीमतों के कारण इस वित्तीय वर्ष में मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन बिजली को छोड़कर) बढ़ने की उम्मीद है.
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ख़बरों के अनुसार 2024-25 में भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमतें 4.1 फीसदी बढ़कर 85.8 डॉलर प्रति बैरल हो सकती हैं. पहले कीमतों में एक फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद थी. बता दें कि जून 2022 और मार्च 2024 के बीच परिवहन ईंधन की कीमतें अपरिवर्तित रहीं, जिसके बाद उनमें और कमी की गई है.
इसके साथ ही 2022-23 में कच्चे तेल की कीमतों में 18.5 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई, जबकि 2023-24 में उनमें सिर्फ 11.7 प्रतिशत की गिरावट आई है. दरअसल चालू वित्त वर्ष में और वृद्धि के साथ, तेल विपणक पिछले 2 वर्षों में हुए घाटे की भरपाई कर रहे हैं, तो ऐसे में जून तिमाही के बाद परिवहन ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं.
1. 2019-20- 4.8%
2. 2020-21- 6.2%
3. 2021-22- 5.5%
4. 2022-23- 6.7%
5. 2023-24- 5.4%
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