चीन-ताइवान जंग से ऑटो सेक्टर की बढ़ेंगी मुश्किलें, फंस जाएंगी मोबाइल और कार कंपनियां

नई दिल्ली : ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर साल 2020 में कोरोना महामारी के बाद काफी बुरा असर हुआ. हालांकि इसके बाद भी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को लेकर ताइवान का दबदबा रहा है. ताइपेई स्थित रिसर्च फर्म ट्रेंडफोर्स के आंकड़ें बताते हैं कि साल 2020 में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के कुल ग्लोबल रेवेन्यू में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक थी.

चरम पर है चीन और ताइवान खींचतान

दशकों से चीन और ताइवान के बीच जारी खींचतान बीते कुछ समय में अपने चरम पर है. अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी की हालिया ताइवान यात्रा ने इसे और उभार दिया. ऐसे में लगातार चीन इस यात्रा की खबर के बाद से चेतावनी दे रहा था और अब ताइवान की खाड़ी में जंग की आशंका गहरा गई है. इस युद्ध के खतरे को लेकर दुनिया में एक और तरह की चिंता बढ़ गई है. पहले ही ऑटो इंडस्ट्री से लेकर स्मार्टफोन इंडस्ट्री तक चिप शॉर्टेज से काफी तनाव था. ताइवान में स्थिति बिगड़ने पर यह संकट गहरा गया है. क्योंकि यह छोटा देश सेमीकंडक्टर (Semiconductor) के मामले में दुनिया की फैक्ट्री साबित होता है.

ताइवान पर निर्भर हैं दुनिया

कोरोना महामारी की शुरुआत में भी ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर काफी बुरा असर पड़ा था. हालांकि इसके बाद भी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में ताइवान का दबदबा वैसा ही रहा. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के टोटल ग्लोबल रेवेन्यू में सबसे ज्यादा योगदान TSMC का है. TSMC अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है जो Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियों को सेमीकंडक्टर उपलब्ध करवाती है. जानकारी के लिए बता दें, सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, कारों के सेंसर में बड़े पैमाने पर किया जाता है. सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन भी काफी जटिल काम है, जिसमें डिजाइन करने वाली कंपनियों से लेकर बनाने वाली कंपनियां सभी का योगदान रहता है. ऐसे में अगर इस संकट से ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री प्रभावित होती है तो इससे पूरी दुनिया के मोबाइल एवं कार इंडस्ट्री को खतरा होगा.

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