Budget 2022-2023 नई दिल्ली, Budget 2022-2023 मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश अपने बजट में राजकोषीय घाटे में संशोधन किया. आगामी वित्तीय वर्ष में इसका टारगेट घटा कर 6.9 फीसद किया है. आइये आपको बताते हैं की क्या है राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit). राजकोषीय घाटा क्या होता है? राजकोषीय घाटे से […]
नई दिल्ली, Budget 2022-2023 मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश अपने बजट में राजकोषीय घाटे में संशोधन किया. आगामी वित्तीय वर्ष में इसका टारगेट घटा कर 6.9 फीसद किया है. आइये आपको बताते हैं की क्या है राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit).
राजकोषीय घाटे से मतलब सरकार की कुल कमाई और होने वाले खर्चे के बीच का अंतर है. आसान शब्दों में कहे तो सरकार अपने खर्चे पूरा करने के लिए कितना क़र्ज़ लेगी यह अनुमान ही राजकोषीय घाटा कहलाता है. इस बारे में सरकार पहले से ही लक्ष्य बना कर चलती है.
देश की आर्थिक स्थिति की तस्वीर को वास्तव में राजकोषीय घाटे से ही पेश किया जाता है. राजकोषीय घाटे के आकड़ों पर शेयर बाजार के निवेशकों से लेकर रेटिंग एजेंसियों तक सभी की नज़र रहती है.
बीते वित्त वर्ष 2021-2022 में सरकार ने आम बजट पेश करने के साथ राजकोषीय घाटा (GDP) 6.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया था. बाद में कोरोना काल के दौरान इस लक्ष्य को बढ़ा दिया गया था. ऐसा सरकारी खर्चे को देखते हुए किया गया था. सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.9 तक बढ़ा दिया था.
मंगलवार को निर्मला सीतारमण ने संसद में अगले वित्तीय वर्ष में सरकारी खर्चे और कमाई का ये फासला कम रखने का लक्ष्य बनाया है. जहां राजकोषीय घाटे को 6.4 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य सरकार ले चुकी है. आपको बता दें की नरेंद्र मोदी की सरकार हमेशा से ही राजकोषीय घाटे को लेकर सतर्क रहती है.
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