नई दिल्ली: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। एक महीने से भी कम समय में, बांग्लादेश कंगाली की कगार पर पहुंच गया है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार अब आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और एडीबी से 8 अरब डॉलर की फंडिंग की मांग कर रही है।
हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में एक साथ कई संकट पैदा हो गए हैं। नई सरकार इनसे निपटने के लिए इंटरनेशनल मोनेट्री फंड (आईएमएफ), वर्ल्ड बैंक, जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से मदद की मांग कर रही है। बांग्लादेश पर मौजूदा समय में 100 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है और उसे 3 अरब डॉलर के पेमेंट करने हैं। इसके अलावा, बाढ़ राहत के कामों के लिए 30 करोड़ डॉलर खर्च करने की आवश्यकता है।
आईएमएफ की एक टीम अक्टूबर में ढाका जाकर अंतरिम सरकार से वार्ता करेगी। जनवरी 2023 में आईएमएफ ने शेख हसीना सरकार को 4.7 अरब डॉलर का पैकेज स्वीकृत किया था, जिसमें से 2.3 अरब डॉलर दिए गए थे। अब मोहम्मद यूनुस अतिरिक्त 5 अरब डॉलर की मांग कर रहे हैं।
जुलाई में बांग्लादेश में खाद्य महंगाई दर 14 फीसदी तक पहुंच गई, जो 13 वर्षों में सबसे अधिक है। खाद्य वस्तुओं की कीमतें बेहद बढ़ गई हैं और कई जगहों पर किल्लत की भी रिपोर्टें हैं। बांग्लादेश में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को भी इस संकट का सामना करना पड़ रहा है और उनके पुराने पेमेंट अटक गए हैं।
शेख हसीना सरकार के जाने के बाद जमात-ए-इस्लामी पर से बैन हटा दिया गया है, जिससे अल्पसंख्यकों पर हमलों में वृद्धि हुई है। यह आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल ने बांग्लादेश की स्थिति को और भी खराब कर दिया है।
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