नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय की अनुदान मांगों के अनुसार भारत ने मालदीव को दी जाने वाली विकास सहायता इस साल के अंतरिम बजट में 50 प्रतिशत बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये से 600 करोड़ रुपये कर दी है. दरअसल भारत ने पिछले साल ₹400 करोड़ आवंटित किए थे, लेकिन संशोधित अनुमानों के अनुसार ये 770 करोड़ […]
नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय की अनुदान मांगों के अनुसार भारत ने मालदीव को दी जाने वाली विकास सहायता इस साल के अंतरिम बजट में 50 प्रतिशत बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये से 600 करोड़ रुपये कर दी है. दरअसल भारत ने पिछले साल ₹400 करोड़ आवंटित किए थे, लेकिन संशोधित अनुमानों के अनुसार ये 770 करोड़ खर्च हो गया है, और इसका मतलब है कि इस साल मालदीव के लिए भारत की विकास सहायता पिछले साल की तुलना में 22 प्रतिशत से कम है,
और भारत विकासात्मक सहयोग के एक मॉडल का अनुसरण करता है जिसमें सहायता-अनुदान, ऋण लाइन, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता समेत कई साधन शामिल हैं, और भागीदार देशों की प्राथमिकताओं के मुताबिक भारत का विकास सहयोग वाणिज्य से संस्कृति, ऊर्जा से इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य से आवास, आईटी से बुनियादी ढांचे, खेल से विज्ञान आदि क्षेत्रों के लिए है.
बता दें कि चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के शासनकाल में मालदीव अपने पुराने मित्र भारत से अलग होता नज़र आ रहा है. साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की यात्रा पर मालदीव के कुछ नेताओं की ओर से पोस्ट की गई है, और अपमानजनक टिप्पणियों के बाद हाल ही में हुए राजनयिक विवाद पर भारतीयों ने प्रतिक्रिया जाहिर की थी, और अपने चुनाव के बाद मुइज्जू की चीन यात्रा को इस संकेत के रूप में भी देखा गया है कि
वो भारत के साथ मालदीव के संबंधों में सुधार पर क्या सोचते हैं. दरअसल मालदीव के साथ मसले के बाद से सरकार ने लक्षद्वीप को भारतीयों के लिए एक वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में भी बढ़ावा दिया है, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपने अंतरिम बजट 2024 भाषण में कहा है कि सरकार देश में पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश करने की उम्मीद है.
दरअसल उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप में पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार पूरा ध्यान दे रही है. बता दें कि कई भारतीयों ने लक्षद्वीप को एक वैकल्पिक गंतव्य के रूप में देखना शुरू किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि “घरेलू पर्यटन के लिए उभरते उत्साह को संबोधित करने के लिए, लक्षद्वीप समेत हमारे द्वीपों पर बंदरगाह कनेक्टिविटी, पर्यटन बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए परियोजनाएं शुरू की जाने वाले है. इससे रोजगार सृजन में भी बहुत मदद मिलने वाली है.
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