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रेलवे, ट्रांसपोर्ट और मेट्रो के लिए बन सकता है एक मंत्रालय, जानिए सरकार का प्लान

नई दिल्ली। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्रीय बजट 2023 को पेश करेंगी। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा। आज सुबह 11 बजे वित्त मंत्री अपना संबोधन शुरू करेंगी। बजट को लेकर भारतीय मध्यम वर्ग और भारतीय उद्योग जगत समेत किसान और युवाओं को […]

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budget 2023
  • February 1, 2023 8:19 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्रीय बजट 2023 को पेश करेंगी। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा। आज सुबह 11 बजे वित्त मंत्री अपना संबोधन शुरू करेंगी। बजट को लेकर भारतीय मध्यम वर्ग और भारतीय उद्योग जगत समेत किसान और युवाओं को बेसब्री से इंतजार हैं।

इस बीच चर्चा है कि सरकार रेलवे, ट्रांसपोर्ट और मेट्रो को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, सरकार इन तीनों को एक मंत्रालय में मर्ज कर सकती है। बता दें, सरकार ने इससे पहले भी कई सारे मंत्रालयों के नाम बदलने के अलावा विभागों का मर्ज किया है। ऐसे में मर्ज करने की खबर को पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता।

तीनों के लिए बनेगा एक मंत्रालय

सरकार बजट में रेल, रोड ट्रांसपोर्ट और मेट्रो को जोड़कर एक मंत्रालय का निर्माण कर सकती है। इसके पहले भी बजट में सरकार ने मंत्रालयों के नाम, काम और स्ट्रक्चर में कई बदलाव किए है। जिसके चलते सरकार ट्रांसपोर्टेशन को और बेहतर बनाने के लिए इन सभी मंत्रालयों को एक साथ मर्ज कर सकती है । इसके अलावा कहा जा रहा है कि सरकार रेलवे को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार वंदे भारत ट्रेनों, ट्रैक के निर्माण, वंदे भारत ट्रेनों के इलेक्ट्रिफिकेशन के अलावा वंदे भारत ट्रेनों के विस्तार पर अपना फोकस बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रेल बजट के आवंटन में इजाफा कर सकती है।

पहले अलग था रेल बजट

साल 2017 से पहले भारतीय रेलवे के लिए अलग से रेल बजट पेश होता था। इसे आमतौर पर यूनियन बजट के एक दिन पहले सदन में पेश किया जाता था। लेकिन मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में रेल बजट को भी आम बजट का ही हिस्सा बना दिया। तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 1 फरवरी 2017 को आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट पेश किया था। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में बजटीय सुधारों के तहत 2016 में देश के रेलवे बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया था। सरकार ने यह फैसला नीति आयोग की सलाह पर लिया था।

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