1993 मुंबई बम ब्लास्ट में दोषी याकूब को फांसी पर चढ़ाने से पहले उसके आखिरी शब्द क्या थे इसका इसका खुलासा हो गया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस कगग की माने तो याकूब ने फांसी से पहले वहां मौजूद लोगों से कहा था कि मैं और मेरा रब ही जानता है कि असलियत क्या है. आपलोग तो ड्यूटी कर रहे हैं इसलिए मैं आपको माफ करता हूं.
नागपुर. 1993 मुंबई बम ब्लास्ट में दोषी याकूब को फांसी पर चढ़ाने से पहले उसके आखिरी शब्द क्या थे इसका इसका खुलासा हो गया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस कगग की माने तो याकूब ने फांसी से पहले वहां मौजूद लोगों से कहा था कि मैं और मेरा रब ही जानता है कि असलियत क्या है. आपलोग तो ड्यूटी कर रहे हैं इसलिए मैं आपको माफ करता हूं.
रिपोर्ट के मुताबिक़ वह न तो कांप रहा था और न ही कमजोर पड़ा था. वह बिल्कुल शांत और जीवन के आखिरी पल में पूरी तरह से गरिमापूर्ण व्यवहार के साथ पेश आ रहा था. उसे बैरक में सुबह ठीक 6.50 बजे लाया गया था. उसका चेहरा काले कपड़े से ढंका था और हाथ पीछे से बंधे थे. तीन सिपाही उसे जहां फांसी देनी थी वहां ला रहे थे. ले जाते वक्त एक सिपाही ने ‘चप्पल’ शब्द का प्रयोग किया. याकूब तुरंत समझ गया और उसने अपनी चप्पल उतार दी. उसने कहा, ‘हां, निकाल लेता हूं.’ इसके बाद वह बिना चप्पल के फांसी के फंदे तक पहुंचा. ठीक सुबह सात सात बजे जेल सूपेरिंटेंडेंट योगेश देसाई ने लोहे का डंडा हटाया और दरवाजा खुल गया. याकूब के पांव यहीं थम गए. याकूब के आखिरी 10 मिनट के बारे में सूत्रों ने कुछ ऐसे ही बताया.
आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि याकूब की तरफ से यदि किसी किस्म का विरोध किया जाता तो उससे निपटने की भी पूरी तैयारी की गई थी. यही तीन सिपाहियों ने पुणे जेल में कसाब की फांसी में भी अपनी ड्यूटी दी थी. इन्हें पुणे से नागपुर याकूब के लिए बुलाया गया था. याकूब की फांसी पक्की हुई तो उसने सोना लगभग छोड़ ही दिया था. सूत्रों ने बताया, ‘उसने स्नान किया और फिर नये कपड़े पहने थे. एक कप उसने चाय भी पी थी। इसके बाद उसने इबादत की थी.