नई दिल्ली. 1993 के मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी दी जाएगी. 1993 के ब्लास्ट केस में ये पहली फांसी होगी. याकूब मेमन की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक ने खारिज कर दी है. 1993 मुंबई ब्लास्ट केस में ये पहली फांसी होगी.
इस पूरी प्रक्रिया में 22 साल लग गए. टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी. इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की. लेकिन उसे राहत नहीं मिली. अब उसके पास क्यूरेटिव याचिका ही एकमात्र रास्ता है, जिस पर फांसी से पहले सुनवाई हो सकती है.
याकूब को 30 जुलाई को सुबह 7 बजे नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी जाएगी. याकूब का डेथ वारंट जारी हो गया है. फांसी की सजा मिलने के बाद माफी की अर्जी हर जगह से खारिज हो गई है. बताया जा रहा है कि फांसी के लिए हर जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है और मुख्यमंत्री तक ने अपनी हरी झंडी दे दी है.
याकूब मेमन के परिवार को भी फांसी की तारीख के बारे में बता दिया गया है. वर्ष 1993 में मुंबई में भीड़ भरे 12 स्थानों पर हुए इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए थे. इस केस में 123 आरोपियों में से 100 लोगों को सजा सुनाई गई थी. 27 जुलाई 2007 को टाडा कोर्ट ने मेमन को फांसी की सजा सुनाई थी.
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