आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का चीफ सैयद सलाहुद्दीन आज भी भारत लौटना चाहता है. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व चीफ एएस दुलत ने अपनी किताब 'कश्मीर द वायजेपी ईयर्स' में इसका खुलासा किया है. दुलत ने लिखा है, “सरकार ने उसे वापस लाने की प्लानिंग में काफी वक्त खराब कर दिया. हिजबुल प्रमुख आज भी भारत के कुछ लोगों के संपर्क में है.” दुलत ने के मुताबिक आतंकी उन लोगों को यह मैसेज भेजता है कि वह भारत आना चाहता है.
नई दिल्ली. आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का चीफ सैयद सलाहुद्दीन आज भी भारत लौटना चाहता है. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व चीफ एएस दुलत ने अपनी किताब ‘कश्मीर द वायजेपी ईयर्स’ में इसका खुलासा किया है. दुलत ने लिखा है, “सरकार ने उसे वापस लाने की प्लानिंग में काफी वक्त खराब कर दिया. हिजबुल प्रमुख आज भी भारत के कुछ लोगों के संपर्क में है.” दुलत ने के मुताबिक आतंकी उन लोगों को यह मैसेज भेजता है कि वह भारत आना चाहता है.
सूद ने जानबूझकर उसे भारत नहीं आने दिया
दुलत ने अपनी किताब में लिखा है कि 2001 में सलाहुद्दीन भारत आने को तैयार था. मैंने उसे भारत लाने के लिए सैकड़ों बार सरकार से कहा. लेकिन शायद तत्कालीन रॉ चीफ विक्रम सूद कुछ और ही चाहते थे. उन्होंने कहा कि शायद विक्रम सूद और उनके लोग इस मामले में नहीं पड़ना चाहते थे, क्योंकि मैं पीएमओ से कश्मीर मामले को हैंडिल कर रहा था.
उन्होंने यह भी बताया था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के श्रीनगर चीफ केएम सिंह को सलाहुद्दीन ने फोन किया था और अपने बेटे को एडमिशन दिलाने की अपील की थी. बेटे के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बाद उसने दुबारा फोन करके सिंह को थैंक्स कहा था. दुलत का मानना है कि इस संबंध का फायदा सैयद को भारत लाने के लिए किया जा सकता था, लेकिन ऐसा किया नहीं गया.
बाद में रॉ ने नहीं दिखाई कश्मीर में रुचि
दुलत रॉ से रिटायर होने के बाद वाजयेपी की सरकार में कश्मीर मामलों के स्पेशल एडवाइजर थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके रॉ छोड़ने के बाद खुफिया एजेंसी ने कश्मीर में अधिक रुचि नहीं दिखाई. उन्होंने ने यह भी कहा है कि 1990 के दशक में सलाहुद्दीन ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मीर कासिम से भी बात की थी और कहा था कि सरकार को उससे बातचीत करना चाहिए.
एजेंसी इनपुट भी