नई दिल्ली. शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मुद्दे पर भारी आलोचना झेलने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में नया ऐफिडेविट दायर करेगी. उन्होंने साफ किया, 'कॉमनवेल्थ देश होने की वजह से भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकती. सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी.' उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट जाएगी.
नई दिल्ली. शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मुद्दे पर भारी आलोचना झेलने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में नया ऐफिडेविट दायर करेगी. उन्होंने साफ किया, ‘कॉमनवेल्थ देश होने की वजह से भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकती. सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी.’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट जाएगी.
इससे पहले सरकार ने पिछले दिनों संसद में एक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल इस मुद्दे को इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं उठाया जाएगा. बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सीमा पर 4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया सहित पांच जवानों को पाकिस्तान सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था, जिस वजह से उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद से शहीद के परिवार वाले पाकिस्तान के सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
संसद में सवाल और सरकार का जवाब
सांसद चंद्रशेखर ने संसद में सवाल पूछा था कि क्या सरकार सौरभ और पांच अन्य भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी सेना द्वारा हत्या किए जाने के मामले को युनाइटेड नेशंस के मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाएगी? क्या इस मामले पर आईसीजे का दरवाजा खटखटाया जाएगा, ताकि दोषी पाकिस्तानी सैनिकों सजा दी जा सके. सवाल के जवाब में सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा था, ”इस मसले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को न्यूयॉर्क अधिवेशन के दौरान 22 सितंबर, 1999 को और मानवाधिकार आयोग को अप्रैल 2000 में ही अवगत करा दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जरिए कानूनी कार्रवाई के बारे में भी सारे पहलुओं पर विचार किया गया, लेकिन यह संभव नहीं लगता.”
क्या हुआ था
4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया पहले आर्मी अफसर थे, जिन्होंने 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी दी थी. उन्हें पांच जवानों के साथ 15 मई, 1999 को पकड़ लिया गया था. पाकिस्तानी आर्मी ने 6 जून, 1999 को भारत की सेना को उनका शव लौटाया था. शरीर पर सिगरेट से जलाने और कान को गर्म रॉड से सेंकने के निशान थे. इसके अलावा, आंख फोड़ी और निकाल ली गई थी. दांत टूटे थे तथा हड्डियों और कमर को टुकड़े-टुकड़े में काटा गया था. पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि कालिया और पांच अन्य भारतीय सैनिकों का शव गड्ढे में पाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई.
सुप्रीम कोर्ट में अपील कर चुके हैं सौरभ के पिता
सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उनकी मांग है कि विदेश मंत्रालय इस मसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाए, ताकि जिन पाकिस्तानी जवानों ने उनके बेटे की हत्या की उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके, क्योंकि इस प्रकार का बर्ताव युद्ध बंदियों के साथ जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. सौरभ के पिता एनके कालिया 16 साल बाद भी अपने बेटे के लिए न्याय के लिए लड़ाई कर रहे हैं.
यूपीए सरकार का स्टैंड
यूपीए सरकार ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आईसीजे (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में अपील नहीं की जा सकती, क्योंकि पाकिस्तान सुनवाई के लिए राजी नहीं है और किसी देश को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. सरकार ने कहा था कि पड़ोसियों के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आईसीजे में जाना कानूनी रूप से वैध नहीं होगा. 16 साल बाद भी एनडीए सरकार पाकिस्तान के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील करने को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार संसद में कह चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाना संभव नहीं है.
इंटरनेट पर पड़ा है वीडियो
सौरभ कालिया के साथ दरिंदगी की गई है, इसे पाकिस्तानी सैनिकों ने स्वीकार किया था. इसका वीडियो सालों से यूट्यूब पर पड़ा है. बावजूद इसके मोदी सरकार पिछली सरकार के स्टैंड पर ही चल रही है. एनके कालिया का कहना है, ”मुझे उम्मीद थी कि बीजेपी सरकार ज्यादा देशभक्त है. लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि नई सरकार भी पुरानी सरकार के स्टैंड पर कायम है. सांसद राजीव चंद्रशेखर द्वारा संसद में पूछे गए सवाल पर विदेश मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह के बयान से स्पष्ट है कि नई सरकार भी कारगिल के शहीदों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं है.”
IANS से भी इनपुट