प्रणब का इंटरव्यू छापने वाले अखबार पर भड़की केंद्र सरकार

स्वीडिश अखबार दॉगेंस नेहेदर ने दावा किया है कि भारत ने उससे भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के इंटरव्यू से बोफोर्स वाला हिस्सा हटाने के लिए कहा था. गौरतलब है कि इसी अखबार को इंटरव्यू देते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने बोफोर्स मामले में बयान दिया था, 'अभी तक किसी भी भारतीय कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया है. ऐसे में इसे घोटाला करार देना उचित नहीं है. यह एक मीडिया ट्रायल था.' यह इंटरव्यू दॉगेंस नेहेदर के एडिटर-इन-चीफ पीटर वोलोदास्की ने लिया था.

Advertisement
प्रणब का इंटरव्यू छापने वाले अखबार पर भड़की केंद्र सरकार

Admin

  • May 27, 2015 12:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

नई दिल्ली. स्वीडिश अखबार दॉगेंस नेहेदर ने दावा किया है कि भारत ने उससे भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के इंटरव्यू से बोफोर्स वाला हिस्सा हटाने के लिए कहा था. गौरतलब है कि इसी अखबार को इंटरव्यू देते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने बोफोर्स मामले में बयान दिया था, ‘अभी तक किसी भी भारतीय कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया है. ऐसे में इसे घोटाला करार देना उचित नहीं है. यह एक मीडिया ट्रायल था.’ यह इंटरव्यू दॉगेंस नेहेदर के एडिटर-इन-चीफ पीटर वोलोदास्की ने लिया था.

अखबार में बुधवार को छपी खबर के मुताबिक भारत ने दौरा रद्द करने तक की धमकी दे डाली थी. अखबार लिखता है कि भारत ने कहा, ‘अगर राष्ट्रपति के इस बयान को नहीं हटाया गया तो इस सप्ताह होने वाले उनके दौरे पर बुरा असर पड़ सकता है और दौरा रद्द भी हो सकता है.’ राष्ट्रपति 31 मई, 2015 को स्वीडन के लिए रवाना होंगे. भारतीय राष्ट्रपति के इस बयान पर हुए विवाद के बाद स्वीडन में नियुक्त भारतीय राजदूत बनश्री बोस ने अखबार को पत्र लिखते हुए इस मुद्दे पर नई दिल्ली की नाराजगी दर्ज कराई है.

25 मई, 2015 को बोस ने पत्र में लिखा, ‘यह पूरी तरह अव्यवसायिक और अनैतिक है कि राष्ट्रपति के साथ ऑफ द रिकॉर्ड हुई बात को इंटरव्यू में प्रमुखता से जगह दी गई. उन्होंने यह बात लापरवाही में कही थी, ऐसे में उस बात को इस तरह प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए.’ नई दिल्ली की नाराजगी को प्रमुखता से दर्शाते हुए बोस ने कहा, ‘इंटरव्यू के विडियो में साफ दिख रहा है कि बोफोर्स से संबंधित सवाल तीसरे नंबर पर था, लेकिन इंटरव्यू की शुरुआत उसी सवाल के साथ की गई.’

राष्ट्रपति मुखर्जी के इस बयान पर राष्ट्रपति भवन से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इसके अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि राष्ट्रपति ने ऐसा क्यों कहा पर अगर आप मुझसे बोफोर्स की गुणवत्ता के बारे में पूछेंगे तो मैं यही कहूंगा कि यह अच्छी है.’ हालांकि इस पूरे मामले मेंअखबार के संपादक ने बचाव करते हुए कहा, ‘भारतीय राजदूत की इस प्रतिक्रिया ने मुझे निराश किया. यह हैरान करने वाला है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र छोटी-छोटी चीजों पर इस तरह प्रतिक्रिया दे रहा है. हमने सवाल पूछा था और भारत के राष्ट्रपति ने उसका जवाब दिया. अब यह कहा जा रहा है कि इस बयान की वजह से दौरा रद्द हो सकता है.’

जब अखबार के संपादक से पूछा गया कि उन्होंने राष्ट्रपति के सामने बोफोर्स संबंधी मुद्दा क्यों उठाया, तो इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत में इस बयान को लेकर जितनी चर्चा हो रही है, उतनी ही यहां (स्वीडन) भी हो रही है. ऐसे में साफ है कि यह पब्लिक इंट्रेस्ट का मुद्दा है.’

IANS

Tags

Advertisement