दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति का मामला शांत होने की बजाय बिगड़ता ही जा रहा है. सीएम अपने मन की करना चाहते हैं, तो लेफ्टिनेंट गवर्नर की अलग ही धुन है. अब लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग ने सीएम अरविंद केजरीवाल को खत लिखकर नौकरशाहों की नियुक्ति और तबादले के संबंध में अपने 'संवैधानिक अधिकार' का ब्यौरा दिया है.
नई दिल्ली. दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति का मामला शांत होने की बजाय बिगड़ता ही जा रहा है. सीएम अपने मन की करना चाहते हैं, तो लेफ्टिनेंट गवर्नर की अलग ही धुन है. अब लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग ने सीएम अरविंद केजरीवाल को खत लिखकर नौकरशाहों की नियुक्ति और तबादले के संबंध में अपने ‘संवैधानिक अधिकार’ का ब्यौरा दिया है.
एलजी ने पिछले चार दिनों में सीएम द्वारा किए गए पोस्टिंग-ट्रांसफर रद्द कर दिए हैं. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि आगे से ऐसी कोई भी फाइल किसी मंत्री या मुख्यमंत्री के पास जाने से पहले उनके पास पहुंचनी चाहिए. एलजी द्वारा दिल्ली की कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाई गई शकुंतला गैमलिन से शुरू हुआ विवाद अनिंदो मजूमदार को हटाने तक जारी रहा और अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.
अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने खुलकर एलजी के फैसलों का विरोध किया और इस हस्तक्षेप को असंवैधानिक तक कह दिया. इसके बाद, दोनों ने बारी-बारी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात करके अपनी बात रखी पर बात बनी नहीं. इस दौरान, खबरें आने लगीं कि सरकार के कई आला नौकरशाह दूसरे राज्यों में ट्रांसफर लेने का मन बना चुके हैं.
इसके बाद, डिप्टी सीएम ने सरकार के आला अधिकारियों को बुधवार सुबह मीटिंग के लिए बुलाया. सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में सभी अधिकारियों को नियम-कानून का पाठ पढ़ाया गया और साफ कह दिया गया कि दिल्ली सरकार का फैसला ही अंतिम होगा. केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रही थी, लेकिन मंगलवार दर रात भारत लौटे पीएम नरेंद्र मोदी को भी केजरीवाल ने खत लिखकर दिल्ली सरकार को आजादी से काम करने देने के लिए कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एलजी की मदद से उन्हें काम नहीं करने दे रही। हालांकि, कुछ ही देर बाद एलजी ने केजरीवाल को नई चिट्ठी लिखकर विवाद को फिर से गहरा दिया.
IANS