2002 के हिट एंड रन केस में सलमान को सजा सुनाते हुए सेशंस कोर्ट ने ड्राइवर अशोक सिंह द्वारा सालों बाद इस घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए सलीम खान को जिम्मेदार ठहराया है. फैसले की कापी के मुताबिक, ''घटना के बाद पहली बार सीआरपीसी सेक्शन 313 के तहत आरोपी ने कहा था कि गाड़ी अलताफ चला रहा था, फिर अशोक सिंह के गाड़ी चलाने की बात कही गई. ऐसी बात आरोपी ने रविंद्र पाटिल से पूछताछ के दौरान नहीं कही थी.''
मुंबई. 2002 के हिट एंड रन केस में सलमान को सजा सुनाते हुए सेशंस कोर्ट ने ड्राइवर अशोक सिंह द्वारा सालों बाद इस घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए सलीम खान को जिम्मेदार ठहराया है. फैसले की कापी के मुताबिक, ”घटना के बाद पहली बार सीआरपीसी सेक्शन 313 के तहत आरोपी ने कहा था कि गाड़ी अलताफ चला रहा था, फिर अशोक सिंह के गाड़ी चलाने की बात कही गई. ऐसी बात आरोपी ने रविंद्र पाटिल से पूछताछ के दौरान नहीं कही थी.”
जज ने कहा कि करीब 27 गवाह मेरे सामने लाए गए लेकिन दोषी ने कभी ड्राइवर का नाम नहीं लिया. अशोक सिंह ने खुद पर जिम्मेदारी तब ली जब सलीम खान (दोषी के पिता) ने उसे ऐसा करने के लिए कहा. जज डीडब्ल्यू देशपांडे ने 240 पेज में फैसला लिखा है. इसमें सलमान के चरित्र पर भी सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा है कि सलमान का इरादा साफ होता तो वे पुलिस के सामने आते.
फैसले के कुछ और मुख्य बिंदु:
-पीड़ितों की मदद के लिए कोई कदम न उठाना आरोपी के खिलाफ जाता है.
– कोर्ट ने सलमान के बॉडीगार्ड रहे रवींद्र पाटिल के बयान को तरजीह दी.
– घटनास्थल पर मृतक के खून के धब्बे न मिलने की बचाव पक्ष की दलील को खारिज किया.
-सलमान एक स्टार हैं, इसलिए उन्हें बिना लाइसेंस नशे में गाड़ी चलाने से जुड़े कानून पता हैं.
‘सलमान को सामने आना चाहिए था’
जज देशपांडे ने लिखा है कि अगर सलमान खान दोषी नहीं थे, तो उन्हें लोगों को यह भरोसा दिलाना चाहिए था कि दोषी ड्राइवर के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. सलमान ने घटनास्थल पर पुलिस का इंतजार नहीं किया. वे घर चले गए और सुबह 10:30 बजे तक खुद को छिपाए रखा. इसी आधार पर उन्होंने सलमान के वकीलों की इस दलील को खारिज कर दिया कि फुटपाथ पर सो रहे लोगों को अपना शिकार बनाने वाली लैंड क्रूजर कार वह नहीं चला रहे थे.
फैसले में एक्सीडेंट के बाद सलमान के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि अगर सलमान ने कुछ गलत नहीं किया होता, तो वह तत्काल पुलिस के पास जाते और घटना के बारे में जानकारी देते. यह साफ है कि आरोपी घायलों को देखने या उनकी मदद करने हॉस्पिटल नहीं गया. उसने पीड़ितों के प्रति कोई संवेदना नहीं जाहिर की और न ही कोई सहायता की. वह पुलिस के साथ दोबारा स्पॉट पर भी नहीं आया.
मामले की जानकारी पुलिस को न देना गया सलमान के खिलाफ
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों की मदद के लिए कोई कदम न उठाना और पुलिस को जानकारी न देना आरोपी के खिलाफ जाता है. कोर्ट ने सलमान के पक्ष में दी गई इस दलील को भी स्वीकार नहीं किया कि एक्सीडेंट पहले कार का बायां टायर फट गया था. कोर्ट ने कहा कि टायर फट सकता है, लेकिन गाड़ी के सीढियां चढ़ने के बाद. कोर्ट ने एक्सपर्ट के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि कार के बाएं पहिये में सिर्फ हवा कम थी. यह पंक्चर नहीं था. कोर्ट ने कहा कि अगर टायर फटा होता तो वह बेकरी की दो-तीन सीढ़ियां नहीं चढ़ पाता. इसके जवाब में सलमान के वकील श्रीकांत शिवड़े ने कहा कि सीढियों की ऊंचाई ज्यादा नहीं थी और कार की रफ्तार भी करीब 90-100 किमी प्रति घंटा थी. इसी वजह से कार का सीढी पर चढ़ना मुमकिन है. इसके जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि कार की रफ्तार 55-60 किमी प्रति घंटा थी और इतनी स्पीड में कोई कार सीढियां नहीं चढ़ सकती.
सलमान के बॉडीगार्ड की गवाही को तरजीह
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी माना कि अभियोजन पक्ष के गवाह और सलमान के बॉडीगार्ड रहे रवींद्र पाटिल इस मामले में एक स्वाभाविक और निष्पक्ष गवाह रहे हैं. पुलिस कॉन्स्टेबल रहे पाटिल की 2007 में बीमारी से मौत हो गई थी. पाटिल यह लगातार कहते रहे कि ड्राइवर शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था. उनकी गवाही को कोर्ट ने भी माना.
मृतक के खून के धब्बे न मिलने की दलील को ठुकराया
जज ने यह भी माना कि हादसे में पीड़ित नुरुल्ला शरीफ की मौत कार चढ़ने की वजह से हुई, न कि क्रेन द्वारा कार उठाए जाने के दौरान उसके स्लिप होकर पीड़ित पर गिरने से. कोर्ट ने सलमान के वकील की उस दलील को नहीं माना, जिसमें कहा गया था कि घटनास्थल पर खून की बूंदों का न मिलना इस बात का सबूत है कि कार चढ़ने से नुरुल्ला की मौत नहीं हुई. कोर्ट ने कहा, ” नुरुल्ला के सिर, गर्दन, छाती, पेट पर बहुत सारी चोटें थीं. दोनों हाथ, खोपड़ी, दिल, फेफड़े पूरी तरह कुचल गए थे. मेरी राय में ऐसा तभी हो सकता है कि जब कार से भीषण आघात हो. कार सोते हुए नुरुल्ला के सिर और छाती पर चढ़ गई.”
पीड़ित की गवाही को किया नजरअंदाज
हादसे में घायल हुए अब्दुल शेख ने कहा था कि उन्होंने कार को क्रेन से उठाए जाते वक्त नुरुल्ला को दर्द से चीखते और रोते सुना है. कोर्ट ने शेख की इस गवाही को खारिज किया. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा, ”आरोपी एक मशहूर एक्टर है. उसे अच्छी तरह पता था कि बिना लाइसेंस के गाड़ी नहीं चलाना चाहिए. उसे इस बात की जानकारी थी कि इतनी रात को नशे में गाड़ी नहीं चलानी चाहिए. यह आम कायदे हैं. आरोपी के ब्लड सैंपल में 0.062 पर्सेंट एल्कॉहल के अंश मिले. जब एक शख्स शराब पीता है और देर रात गाड़ी चलाता है तो उसके लिए ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है. आरोपी को यह भी पता था कि इस तरह की दुर्घटना हो सकती है, जिससे दूसरों की जान जाने या चोटिल होने का खतरा है. खास तौर पर उन्हें, जो फुटपाथ पर सोते हैं.” कोर्ट ने माना कि सलमान का मामला एलिस्टर परेरा जैसा ही है, जहां आरोपी को पता था कि मुंबई में लोग फुटपाथ पर सोते हैं.
IANS