आप I.N.D.I.A है लेकिन राष्ट्रीय हितों के बारे में सुनने को तैयार नहीं – एस जयशंकर

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में उनके बयान के बीच हुए हंगामे को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आप अपने गठबंधन का नाम इंडिया होने का दावा करते हैं, लेकिन भारत के राष्ट्रीय हितों के बारे में सुनने को तैयार नहीं हैं, तो फिर ये कैसा […]

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आप I.N.D.I.A है लेकिन राष्ट्रीय हितों के बारे में सुनने को तैयार नहीं – एस जयशंकर

Vikas Rana

  • July 27, 2023 4:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में उनके बयान के बीच हुए हंगामे को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आप अपने गठबंधन का नाम इंडिया होने का दावा करते हैं, लेकिन भारत के राष्ट्रीय हितों के बारे में सुनने को तैयार नहीं हैं, तो फिर ये कैसा इंडिया है ? यह बहुत अफसोस की बात है कि ऐसे विषय पर जिससे पूरे देश का हित जुड़ा हुआ है उसे विपक्ष सुनने को तैयार नहीं था। उनके मन में केवल इतना था कि देश ने जितनी भी सफलता हासिल की है उसकी या तो आलोचना करे या देश के लोगों तक उस संदेश को पहुंचने ही नहीं दिया जाए। हम लोगों के बीच देश में चाहे जो विवाद हो लेकिन देश के बाहर हमें एकता दिखानी चाहिए। कम से कम जहां देशहित, प्रगति की बात हो वहां हमें राजनीति को दरकिनार कर उसकी प्रशंसा करनी चाहिए।

राज्यसभा में लगे इंडिया-इंडिया के नारे

बता दें, विदेश मंत्री एस जयशंकर आज भारत की विदेश नीति में हो रहे नवीनतम विकास को लेकर राज्यसभा में बयान दे रहे थे। इसी दौरान सत्ता पक्ष के सांसदों ने सभा में “मोदी, मोदी” के नारे लगाना शुरू कर दिया। वहीं इसके विरोध में विपक्षी दल “इंडिया-इंडिया” बोलने लगे। इस दौरान संसद में खूब हंगामा हुआ। बाद में राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।

जारी है मानसून सत्र

संसद के मानसून सत्र में मणिपुर मामले को लेकर लगातार हंगामा देखा जा रहा है। विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष तक इस मुद्दे पर चर्चा की बात कह चुके हैं, लेकिन अब तक मणिपुर मुद्दे को लेकर सदन में चर्चा नहीं हो पाई है। वहीं विपक्षी महागठबंधन INDIA की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इस प्रस्ताव के जरिए मणिपुर मामले को लेकर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही चाहता है। दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से साफ़ कर दिया गया है कि वह सदन में किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष मणिपुर जैसे मामले को लेकर ज़्यादा गंभीर नहीं है और राजनीति कर रहा है। ऐसे में संसद के मानसून सत्र का अधिकांश समय आरोपों – प्रत्यारोपों और हंगामे की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है।

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