नई दिल्ली। यमुना नदी का जलस्तर 208.48 मीटर यानी खतरे के निशान को पार कर चुका है। दिल्ली के कई निचले इलाके यमुना के पानी में डूब गए हैं। रिंग रोड, निगम बोध घाट, यमुना बाजार, मोनेस्ट्री मार्केट में बाढ़ का पानी आ गया है। इन इलाकों से लोगों को लगातार हटाया जा रहा हैं। हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
हथिनी कुंड बैराज दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना के पानी का बंटवारा करता है। दिल्ली को 60 प्रतिशत पानी हथिनीकुंड बैराज से ही मिलता है। इसलिए दिल्ली के लिए हथिनीकुंड लाइफलाइन है। लेकिन बरसात के समय में पानी छोड़े जाने के बाद ये दिल्ली के लिए खतरा भी बन जाता है। वैसे तो बैराज दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर है। लेकिन पानी को बैराज से दिल्ली तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता। पहले यमुनानगर से दिल्ली तक बैराज का पानी तीन दिन में पहुंच जाता था। लेकिन अब ये दो दिन के अंदर दिल्ली पहुंच जाता है। इसके अलावा हथिनीकुंड बैराज से दो नहरें भी निकलती हैं।
दिल्ली में आई बाढ़ को लेकर साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स के एसोसिएट कोऑर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि दिल्ली में अचानक आई बाढ़ का मुख्य कारण केवल हथिनीकुंड बैराज नहीं बल्कि नदी में गाद का जमना भी है, जिसके कारण नदी का तल ऊंचा हो गया है। इसके अलावा यमुना में वजीराबाद से ओखला तक 22 किलोमीटर के दायरे में कुल 20 पुल है जो पानी के बहाव को रोकते हैं, जिससे नदी के तल में गाद जमा होती है और रेतीले चट्टानों का निर्माण होता है।
वहीं सीडब्ल्यूसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को पिछले वर्ष की तुलना में दिल्ली पहुंचने में अब कम समय लगने लगा है। इसका मुख्य कारण अतिक्रमण और गाद हो सकता है। पहले पानी को बहने के लिए ज्यादा जगह मिलती थी। लेकिन अब ये नदी एक संकरे रास्ते से होकर गुजरने लगी है। जिसके कारण पानी का बहाव काफी तेजी से दिल्ली की ओर बढ़ता है।